अगर आप अपने बच्चे को अपने साथ सुलाने की आदत से जुड़े हैं, तो ये जानकारी आपके लिए जरूरी है. भले ही बच्चे के साथ सोना आपको और आपके बच्चे को अच्छा लगता हो, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. यहां हम आपको उन्हीं नुकसानों पर बात करेंगे और यह भी जानेंगे कि बच्चों को अलग सुलाने की सही उम्र क्या होती है. यह जानना जरूरी है ताकि आप अपने बच्चे की सही परवरिश कर सकें और उसे एक अच्छी नींद की आदत डाल सकें.
बच्चे को साथ सुलाने के नुकसान
- अस्वस्थ नींद की आदतें: बच्चों को साथ सुलाने से उनमें स्वतंत्र रूप से सोने की आदतें विकसित नहीं हो पाती हैं, जिससे उन्हें भविष्य में अकेले सोने में कठिनाई हो सकती है।
- बाधित नींद: माता-पिता और बच्चे की नींद परस्पर बाधित हो सकती है. बच्चे की छोटी-छोटी हरकतें, रोना या बार-बार जागना माता-पिता की नींद को भी प्रभावित कर सकता है.
- आत्मनिर्भरता में कमी: यदि बच्चे लंबे समय तक माता-पिता के साथ सोते रहें, तो उनमें आत्मनिर्भरता की कमी आ सकती है।.उन्हें खुद को संभालने और अकेले समय बिताने में दिक्कत हो सकती है.
- गोपनीयता की कमी: बच्चों के साथ सोने से माता-पिता की निजी और आपसी संबंधों की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है, जिससे उनके रिश्ते पर असर पड़ सकता है.
- स्वतंत्रता में देरी: बच्चे जब अपने माता-पिता के साथ बिस्तर साझा करते हैं, तो उनमें स्वतंत्रता और खुद के निर्णय लेने की क्षमता विकसित होने में देरी हो सकती है.
जानें कब बच्चे को अलग सुलाना चाहिए
कई माता-पिता सोचते हैं कि उनके बच्चे को कब तक अपने साथ सुलाना चाहिए. यह सवाल अक्सर उनके मन में आता है. सच तो यह है कि इसका कोई एक जवाब नहीं है. हर परिवार की स्थिति अलग होती है और हर बच्चा भी अलग होता है. लेकिन, अगर हम एक सामान्य राय की बात करें, तो ज्यादातर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सात से आठ साल की उम्र के बीच में बच्चों को धीरे-धीरे अपने बिस्तर से अलग सुलाना शुरू कर देना चाहिए.
बच्चों का विकास सही होता है
इस उम्र में बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं और उनमें आत्मनिर्भरता की भावना विकसित होने लगती है. उन्हें अपने कमरे में सुलाने से उन्हें खुद पर भरोसा बढ़ता है और वे अपने डर से लड़ना सीखते हैं. फिर भी, उन्हें अकेलापन महसूस न हो, इसके लिए उनका कमरा आपके कमरे के पास होना चाहिए. इससे उन्हें यह अहसास होता रहेगा कि आप हमेशा उनके नजदीक हैं.
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