बच्चों का विकास केवल पढ़ाई और खेलकूद तक सीमित नहीं है. उनके समग्र विकास में शिष्टाचार और सद्व्यवहार की शिक्षा भी अधिक महत्वपूर्ण होती है. यह न केवल उन्हें समाज में अच्छी पहचान दिलाती है बल्कि जीवन में सफलता के मार्ग भी आसान करती है. आज हम उन 5 अनिवार्य एटिकेट्स के बारे में बताएंगे जिन्हें हर माता-पिता को अपने बच्चों में विकसित करना चाहिए. ये एटिकेट्स न केवल उन्हें एक सुसंस्कृत व्यक्ति बनाने में मदद करेंगे, बल्कि उनके व्यक्तित्व को और अधिक आकर्षक और सम्मानजनक भी बनाएंगे. 


धन्यवाद कहना
किसी की मदद या उपहार मिलने पर 'धन्यवाद' कहना बच्चों को सिखाएं. यह साधारण शब्द उनमें कृतज्ञता की भावना जगाता है.  इससे वे समझेंगे कि दूसरों के प्रयासों की सराहना कैसे की जाती है. यह उन्हें विनम्र और सकारात्मक बनाएगा. 


माफी मांगना
गलती हो जाने पर माफी मांगना बच्चों को जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाता है. यह उन्हें सिखाता है कि हर गलती के पीछे उनकी अपनी भूमिका होती है और उसे स्वीकार करना उनकी बड़प्पन को दर्शाता है. माफी मांगने से रिश्तों में सद्भाव भी बढ़ता है. 


सब्र रखना
बच्चों को धैर्य रखना और अपनी बारी के लिए इंतजार करने का महत्व समझाएं. यह उन्हें सिखाता है कि सब कुछ तुरंत नहीं मिलता. इससे वे सहिष्णुता और दूसरों के प्रति सम्मान की भावना विकसित करते हैं. यह एक अच्छे इंसान बनने की ओर एक कदम है.


नमस्ते कहना
बड़ों को 'नमस्ते' करके और मुस्कुराकर सम्मान देना सिखाना बच्चों में आदर की भावना जगाता हैं. यह उन्हें सिखाता है कि कैसे छोटी छोटी क्रियाओं से भी हम किसी का दिल जीत सकते हैं और आदर प्रकट कर सकते हैं. 


साफ-सफाई रखना
अपनी चीजों को सही जगह पर रखना और साफ-सफाई रखने की आदत बच्चों में जिम्मेदारी की भावना और स्वच्छता के प्रति सजगता विकसित करती है. यह उन्हें अनुशासन और संगठित रहने का महत्व समझाती है, जो उनके जीवन के हर क्षेत्र में काम आएगी. इन शिष्टाचारों को अपनाने से बच्चे न केवल समाज में एक अच्छे इंसान के रूप में उभरेंगे, बल्कि उनका आत्म-सम्मान भी बढ़ेगा. इसलिए, ये शिष्टाचार उनके जीवन में अनिवार्य हैं.