अगर बच्चे कभी-कभी अपने माता-पिता से नाराज होते हैं या उन्हें विलेन समझते हैं, तो यह उनकी व्यक्तिगत विकास और मानसिक मजबूती के लिए फायदेमंद हो सकता है. मनोज बाजपेयी के ये टिप्स आपकी पेरेंटिंग को नया नजरिया दे सकते हैं और बच्चों की भलाई के लिए सही साबित हो सकते हैं.
बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी इन दिनों अपनी फिल्म 'भैयाजी' के चलते सुर्खियों में हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने पेरेंटिंग पर अपने विचार साझा किए. आरजे रौनक ने मनोज बाजपेयी से पूछा कि आज की पीढ़ी के बच्चे रिजेक्शन को बर्दाश्त क्यों नहीं कर पाते, जबकि उनके समय के कलाकार बहुत मुश्किलों का सामना करके कामयाब हुए.
बच्चों को ट्रॉफी की तरह ट्रीट करना बंद करें
मनोज बाजपेयी ने कहा, "यह बहुत ही गंभीर विषय है और इस पर बार-बार सोचने की जरूरत है. हम बच्चों को जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार देने लगे हैं. हम जॉइंट फैमिली से अलग होकर न्यूक्लियर फैमिली में रहने लगे हैं. हम शहरों में रहते हैं और अपने बच्चों को ट्रॉफी की तरह ट्रीट करने लगे हैं."
बच्चों को कैसे तैयार करें
उन्होंने आगे कहा, "हम यह भूल जाते हैं कि इन्हीं बच्चों को कल दुनिया का सामना करना है. हमें उन्हें गाइड करने, सिखाने और सही चीजों का इस्तेमाल करने की सीख देनी चाहिए." मनोज बाजपेयी ने सोशल मीडिया को भी इसका कारण बताया. उन्होंने कहा, "जब हम छोटे थे, हम असल दुनिया में जीते थे और लोगों से बातें करते थे. आज के बच्चे स्क्रीन तक सीमित हो गए हैं. यही बच्चे जब असल दुनिया की चुनौतियों का सामना करेंगे, तो उन्हें बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और डिप्रेशन में चले जाएंगे."
अगर बच्चे आपको विलेन समझें
मनोज बाजपेयी ने कहा, "अगर बच्चा अपने पेरेंट्स को विलेन समझता है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है. एक समय के बाद वे आपकी परवाह करना बंद कर देंगे और जिंदगी में आगे बढ़ जाएंगे. बच्चों को ट्रॉफी की तरह ट्रीट करना बंद करें. यह कहना बंद करें कि आप उनसे प्यार करते हैं, क्योंकि बच्चे यह जानते हैं. बार-बार यह कहकर आप उनकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं. आपको समझना होगा कि आपके बच्चे के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा."
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