आजकल बच्चियों को 9 से 10 साल की उम्र में ही पीरियड्स आने लगे हैं, जो उनके लिए भी यह समझना मुश्किल होता है. इसलिए मां की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी बच्चियों को पीरियड्स के बारे में सही जानकारी दें और उन्हें इसके लिए तैयार करें. जिससे बच्ची इस बदलाव को बिना किसी डर या झिझक के स्वीकार कर सके ..


खुलकर बात करें
बच्चियों से पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करें. उन्हें बताएं कि यह एक सामान्य और नेचुरल प्रक्रिया है. डर या शर्म की कोई बात नहीं है. आसान शब्दों में समझाएं कि पीरियड्स क्या होते हैं और इसके दौरान क्या-क्या बदलाव होते हैं. उसे कैसे संभालना चाहिए.


सही जानकारी दें
पीरियड्स के दौरान होने वाले शारीरिक और भावनात्मक बदलावों के बारे में सही जानकारी दें. उन्हें यह भी बताएं कि पीरियड्स कितने दिन तक चलते हैं और इस दौरान साफ-सफाई का ध्यान कैसे रखें. इस दौरान पेट में दर्द और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं.  हार्मोन में बदलाव के कारण उनका मूड भी बदल सकता है, जैसे कभी खुश तो कभी उदास महसूस करना. ये सब सामान्य है और इससे घबराने की जरूरत नहीं है. 


जरूरी सामान तैयार रखें
बच्चियों के लिए सैनिटरी पैड्स, पैंटी लाइनर्स और अन्य जरूरी सामान पहले से ही तैयार रखें. उन्हें दिखाएं कि इनका सही तरीके से इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मां को चाहिए की इसके बारे में बच्चियों को पहले से बता दें ताकि वे इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें और सही तरीके से इसका सामना कर सकें. 


साफ-सफाई का ध्यान रखें 
पीरियड्स के दौरान निजी साफ-सफाई  का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, बच्चियों को सिखाएं कि वे रोजाना रूप से पैड बदलें और सफाई का ध्यान रखें. इसके अलावा, हाथ धोने की आदत भी डालें. 


 


पीरियड्स के बारे में कैसे बताएं 
बच्चियों को पीरियड्स के बारे में समझाने के लिए, आप उन्हें पुस्तकें और वीडियो दिखा सकते हैं जो इस विषय पर बनाई गई हैं। इनसे वे यह समझ सकेंगी कि पीरियड्स क्या होते हैं और उनके शरीर में कैसे होते हैं। वीडियो उन्हें खुद के लिए विशेषकर आसान हो सकते हैं, क्योंकि वहां दिखाई जाने वाली तस्वीरें और स्पष्ट भाषा होती है. इसके अलावा, आप उनसे खुले मन से बात करें और उनके सभी सवालों का जवाब दें. इससे वे इस मुद्दे को समझने और स्वीकार करने में आसानी महसूस करेंगी.