दुनिया भर में लाखों लोग पहले ही मोटापा से जूझ रहे हैं. मोटापा कई बीमारियों जैसे कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज और दिल की समस्याओं के लिए जोखिमकारक के तौर पर जाना जाता है. मोटापा आपको कोरोना वायरस से होनेवाली बीमारी कोविड-19 के उच्च जोखिम में भी डाल सकता है. हालांकि कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान दुनिया के कई हिस्सों में शुरू हो चुका है. वर्तमान में बुजुर्ग, हेल्थ केयर वर्कर्स, गंभीर बीमारी वाले लोगों को वैक्सीन का डोज दिया जा रहा है. इस बीच, शोधकर्ता चर्चा कर रहे हैं कि क्या मोटापा को प्राथमिकता लिस्ट में शामिल करना चाहिए या नहीं.


फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन का असर मोटे लोगों पर हो सकता है कम


हाल ही में एक रिसर्च से पता चला है कि फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन का असर मोटे लोगों पर कम हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन मोटापा से ग्रस्त लोगों में कोविड-19 को रोकने में कम प्रभावी पाई गई है. इटली के शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटे हेल्थ केयर वर्कर्स में वैक्सीन के दूसरे डोज से एंटीबॉडीज की सिर्फ आधी मात्रा ही पैदा हो सकी. हालांकि अभी जानना जल्दबाजी होगा कि वास्तव में वैक्सीन के असर पर उसका क्या महत्व है.


कोविड-19 के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बूस्टर की जरूरत


रिपोर्ट में बताया गया है कि इसका मतलब ये हो सकता है कि मोटापा से ग्रस्त लोगों को कोविड-19 के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बूस्टर की जरूरत होगी. पूर्व के रिसर्च में खुलासा हुआ है कि मोटापा कोविड-19 से मौत का करीब 50 फीसद तक खतरा बढ़ा सकता है. मोटापा को बॉडी मास इंडेक्स में 30 से ऊपर परिभाषित किया जाता है. मोटापा और शरीर का ज्यादा फैट मेटाबोलिक बदलावों जैसे इंसुलिन प्रतिरोध, सूजन को प्रभावित करता है, जो संक्रमण के खिलाफ लड़ाई को मुश्किल बना देता है.


एक अलग रिसर्च से इस बात का भी पता चला है कि फ्लू की वैक्सीन मोटापा से ग्रस्त लोगों में स्वस्थ वजन वालों के मुकाबले सिर्फ आधी प्रभावी है. शोधकर्ताओं ने 248 हेल्थ केयर वर्कर्स को बायोएनटेक-फाइजर की वैक्सीन के दो डोज लगाने के बाद परीक्षण किया. दूसरा डोज लेने के 7 दिनों बाद 99.5 फीसद हेल्थ केयर वर्कर्स में एंटीबॉडी रिस्पॉन्स विकसित हुआ. उन्होंने बताया कि ये रिस्पॉन्स कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में ज्यादा, मगर अधिक वजन वाले लोगों में कम था. नया रिसर्च पहली बार सीधा सबूत मुहैया कराता है कि मिलती-जुलती समस्या कोविड-19 वैक्सीन के साथ हो सकती है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि रिसर्च को अभी और बड़े पैमाने पर करने जरूरत है.


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