फाइजर और मॉडर्ना की बनाई कोविड-19 वैक्सीन लगवाने से बीमारी का जोखिम 91 फीसद कम हो जाता है. रिसर्च से ये भी पता चलता है कि टीकाकरण संक्रमण की अवधि और लक्षणों की गंभीरता कम करती है. ये खुलासा न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में 30 जून को प्रकाशित रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें पहली बार एमआरएनए वैक्सीन के फायदे दिखे हैं.
फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन 91 फीसद कम करती है बीमारी
अमेरिका के उटाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर सारंग यून ने कहा, "इस रिसर्च की एक अनोखी बात ये है कि उसमें वैक्सीन के दूसरे फायदों पर भी बात की गई है." रिसर्च का मकसद अग्रिम मोर्चे के कर्मियों, डॉक्टरों और नर्सों के बीच संक्रमण की दर और जोखिम का मूल्यांकन करना था. यून ने आगे बताया, "ये वो लोग हैं जो दिन-प्रतिदिन वायरस के संपर्क में आ रहे हैं और वैक्सीन ने उनको बीमारी से बचा लिया. जो लोग टीकाकरण के बावजूद संक्रमित हुए, वो अभी भी उन लोगों के मुकाबले बेहतर थे जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई."
फाइजर और माडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन में कोशिकाओं के लिए कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने की अनुवांशिक शक्ति होती है, जो वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित और प्रवेश करने के लिए इस्तेमाल करता है. हमारा इम्यून सिस्टम स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स बनाता है, और सीखता है कि भविष्य में संक्रमित होने पर कोरोना वायरस से कैसे लड़ना है. रिसर्च में पाया गया कि एमआरएनए आधारित कोविड-19 वैक्सीन दूसरी डोज के दो सप्ताह बाद प्रतिभागियों को 'पूरी तरह' टीकाकरण से संक्रमण के जोखिम को कम करने में 91 फीसद असरदार थी.
पहला डोज संक्रमण का खतरा कम करने में 81 फीसद प्रभावी
शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि पहला डोज लगवाने के दो सप्ताह बाद 'आंशिक' टीकाकरण से संक्रमण का खतरा कम करने में वैक्सीन 81 फीसद प्रभावी है. रिसर्च के लिए 3,975 प्रतिभागियों को अमेरिका की आठ जगहों में शामिल किया गया. 13 दिसंबर, 2020 और 10 अप्रैल, 2021 के बीच 17 सप्ताह के लिए साप्ताहिक आधार पर प्रतिभागियों ने कोविड-19 टेस्ट के लिए सैंपल दिए. प्रतिभागियों में से केवल 204 (पांच फीसद) आखिरकार कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए. उनमें से 156 का टीकाकरण नहीं हुआ था, 32 में वैक्सीन लगाए जाने को लेकर अनिश्चितता की स्थिति थी, और 16 को पूरी तरह या आंशिक रूप से वैक्सीन लगाई गई.
पूरी तरह या आंशिक रूप से वैक्सीन लगवाने वाले प्रतिभागियों में उन लोगों के मुकाबले हल्के लक्षण थे, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था. वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमण की स्थिति में बुखार की आशंका 58 फीसद कम हो गई और बिस्तर पर बीमार पड़े रहने के दिनों में 60 फीसद की कमी आई. रिसर्च के नतीजों से ये भी पता चलता है कि पूरी तरह या आंशिक रूप से टीकाकरण कराने के बाद अगर लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए जाते हैं, तो उनके दूसरों तक वायरस फैलाने की आशंका कम हो सकती है.
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