Air Pollution Side Effects: दुषित हवा में सांस लेना गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है. हमारे देश में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ये दिल्ली एनसीआर और मुंबई जैसे शहरों में रहने वालों के लिए यह आफत बन गया है. बढ़ते प्रदूषण के कारण हवा में हानिकारक गैसें और कण भर गए हैं, जो सांस लेने पर सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ये कण सामान्य लोगों के लिए नुकसानदायक तो है ही लेकिन गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए भी बेहद खतरनाक है. प्रदूषित हवा में सांस लेने से गर्भवती माताओं और शिशु को कई तरह की समस्याएं हो सकती है. आइए जानते हैं इसके बारें में क्या कहता है रिसर्च..


हाल ही के अध्ययनों से पता चला है कि पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण गर्भस्थ शिशुओं को प्रभावित कर रहा है. कई शोधों में यह देखा गया है कि गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में मौजूद प्रदूषण भ्रूण तक पहुंच जाता है. हाल ही में वैज्ञानिकों को पहली बार तीन महीने के भ्रूण के शरीर में वायु प्रदूषण के कण मिले हैं. भ्रूण के लिवर, फेफड़ों और मस्तिष्क से नैनो पार्टिकल्स पाए गए है. यह इस बात का सबूत है कि मां के सांस के द्वारा प्रदूषण प्लेसेंटा को पार करके भ्रूण तक पहुंच जाता है. गर्भवती महिलाओं के द्वारा प्रदूषित हवा में सांस लेने से शिशु के मस्तिष्क और फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है. इससे बच्चे में कम वजन, सीखने की कमी और बौद्धिक विकलांगता जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है. 


मस्तिष्क और फेफड़ों को पंहुचा रहा है नुकसान 
शोधों के अनुसार प्रदूषित हवा में सांस लेने से गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क और फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है. गर्भवती महिलाओं द्वारा प्रदूषित हवा के साथ इन विषैले कणों और गैसों को सांस के साथ अंदर लेने से भ्रूण के मस्तिष्क और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुँच रहा है. 


शिशु का वजन होता है कम 
शोधों से पता चला है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन कम हो जाता है. धूल और विषैले कण मां के रक्त प्रवाह में मिलकर पोषक तत्वों को शिशु तक पहुंचने से रोकते हैं, जिससे शिशु का विकास प्रभावित होता है. कम वजन जन्म लेने वाले बच्चों में कई स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती हैं. 


सीखने की कमी 
शोधों के अनुसार प्रदूषित हवा में सांस लेने से  बच्चों में सीखने और समझने की क्षमता कम हो जाती है. वे आसानी से कुछ सीख नहीं पाते और बौद्धिक रूप से पिछड़े रहते हैं. यही कारण है कि प्रदूषण रहित वातावरण में रहना गर्भावस्था के दौरान बेहद जरूरी हो जाता है. 


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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