ये डिसऑर्डर सीधे तौर पर यूरीन से जुड़ा होता है. ब्लड शुगर अनियंत्रित होने का असर शरीर के कई अंगों पर पड़ता है. ये हृदय, गुर्दे, आंख, रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं जैसे आंतरिक अंगों को प्रभावित कर सकता है. लंबे समय तक डायबिटीज रहने पर अंधापन, हृदय रोग से लेकर किडनी फेल तक का खतरा बना रहता है. 


डायबिटीज के लक्षण- किसी में भी डायबिटीज की बीमारी अचानक से नहीं होती है. बहुत पहले से ही इसके कुछ संकेत मिलने लगते हैं. बहुत अधिक प्यास लगना, थकान, बार-बार पेशाब आना, अचानक वजन कम होना, ज्यादा भूख लगना, पैरों या हाथों में झुनझुनी महसूस होना प्री-डायबिटीज के लक्षण हैं. प्री-डायबिटीज में आपको ब्लड ग्लूकोज का स्तर बनाए रखने के लिए दवाओं की जरूरत नहीम पड़ती है. 


शुगर न लें- व्हाइट शुगर यानी सफेद चीनी से बनी चीजें खाना पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. इसकी जगह फलों, गुड़ या शहद से मिलने वाले नेचुरल शुगर का सेवन करना चाहिए व्हाइट शुगर में सिर्फ कैलोरी होती है. इससे शरीर को कोई न्यूट्रिशन नहीं मिलता है लेकिन नेचुरल चीजों को भी एक सीमा में लेना चाहिए. जैसे कि एक चम्मच शहद गुड़ का छोटा टुकड़ा एक या दो फल से अधिक नहीं लेना चाहिए,


योगा करें- अगर आपको प्री-डायबिटीज के लक्षण दिखते हैं तो इसके लिए जरूरी है पैंक्रियाज बेहतर ढंग से काम करे इसके लिए एक्टिव रहना और मेटाबॉलिज्म में सुधार करना जरूरी है. रोजाना 40-60 मिनट योगाभ्यास या फिर मेडिटेशन करें या फिर हर रोज 20 मिनट के लिए प्राणायाम करें.


अच्छी नींद लें- प्री-डायबिटीज वालों को 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेनी चाहिए. अच्छी नींद इम्यूनिटी सुधारती है, क्रोनिक इन्फ्लेमेशन घटाती है, शारीरिक और मानसिक तनाव कम करती है और हार्मोन्स को भी सही बनाए रखती है.


सही समय पर डिनर करें- अगर आप प्री-डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको खाने के बीच के अंतर पर खास ध्यान देना होगा. सोने से कम से कम तीन घंटे पहले डिनर कर कर लेना चाहिए. इससे लिवर डिटॉक्स रहता है. इसके अलावा ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के बीच भी 3 घंटे का अंतर रखना चाहिए.


ये भी पढ़ें: थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद खाने से मेटबॉलिज्म पर क्या असर पड़ता है? जानें