शादी के बाद पति-पत्नी के बीच कुछ बातों पर समस्या होना आना आम बात है. बात बढ़ जाने पर कई बार परिवार वाले और रिश्तेदार दोनों के बीच तालमेल बिठाने करने की कोशिशें करते हैं. जब वो सफल नहीं हो पाते हैं तो कई बार मैरिज काउंसलर्स का सहारा लिया जाता है. हालांकि पिछले कुछ दिनों से लोगों में एक नया ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है. अब कपल्स शादी के बाद नहीं बल्कि शादी से पहले ही मैरिज काउंसलिंग के सेशन ले रहे हैं. मेट्रो शहरों में शादी से पहले मैरिज काउंसिलिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसे प्री-मैरिज काउंसलिंग भी कहा जाता है.
क्या है प्री-मैरिज काउंसलिंग- प्री-मैरिज काउंसलिंग में दो इंसानों के स्वभाव को समझाने, उसके अनुसार उन्हें विवाह के मायने बताने की कोशिश की जाती है ताकि बेहतर तालमेल बिठाया जा सके. शादी से जुड़े कई ऐसे मुद्दे होते हैं, जिसे शादी से पहले ही जान लिया जाए, तो आगे चलकर जिंदगी आसान हो जाती है. प्री-मैरिज काउंसलिंग में लड़के और लड़कियों के बायोडाटा की मैचमेकिंग करने के साथ ही शादी से पहले उनकी काउंसिलिंग की जाती है. बात बढ़ने पर रिलेशनशिप मैनेजर दोनों पक्षों की मीटिंग कराते हैं. इस दौरान अगर लड़के और लड़की को किसी तरह की कोई दिक्कत महसूस होती है तो दोनों को बिठाकर, उनके विचार जानकर उनकी काउंसिलिंग करते हैं.
क्यों जरूरी है प्री-मैरिज काउंसलिंग- मैरिज कंसल्टेंट का कहना है कि मौजूदा हालात में टूटते-बिखरते रिश्तों के कारण शादी का फैसला लेने में लोग असमंजस महसूस करते हैं. यही वजह है कि वो अब प्री मैरिज काउंसिलिंग का सहारा ले रहे हैं. कुछ ऐसे कपल भी हैं जो शादी के बाद के चैलेंजेस को जानने और खुद को उनके लिए तैयार करने के लिए कंसल्टेंट की राय चाहते हैं. लोग परिवार और रिश्तेदारों की सलाह के बजाय प्रोफेशनल्स की सलाह लेना ज्यादा पसंद करते हैं.
अरेंज मैरिज में ही नहीं बल्कि लव मैरिज कर रहे कपल्स में भी अब प्री मैरिज काउंसिलिंग को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है. उनके मन में आगे के जीवन को लेकर कई सवाल होते हैं, कई आशंकाएं होती हैं. कुछ मामलों में एक दूसरे के स्वभाव को लेकर भी शिकायतें होती हैं, या फिर परिवार संबंधी समस्याएं भी होती हैं, जिनके लिए वे सलाह लेते हैं.
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