अमेरिका की नोडल एजेंसी सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने अपनी सिफारिश को अपडेट करते हुए कहा है कि प्रेगनेन्ट महिलाओं को कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण कराना चाहिए. इससे पहले, जन स्वास्थ्य एजेंसी अपनी सिफारिश में अस्पष्ट थी. मगर अब, सीडीसी ने अपनी सिफारिश में प्रेगनेन्ट महिलाओं पर जोर दिया है कि उनको कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन इस्तेमाल करना चाहिए. ये सिफारिश वैक्सीन की सुरक्षा के बारे में नए डेटा की बुनियाद पर है.


प्रेगेनेन्ट महिलाओं को कोविड-19 टीकाकरण की सिफारिश


नई सिफारिश में कहा गया, "कोविड-19 टीकाकरण 12 साल या उससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों समेत प्रेगनेन्ट महिलाओं, ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली महिलाों और बच्चे के लिए कोशिश करनेवाली या भविष्य में प्रेगनेन्ट होनेवाली महिलाओं को सुझाव दिया जाता है." सीडीसी ने अपनी वेबसाइट पर सिफारिश में आगे बताया कि प्रेगनेन्सी के दौरान कोविड-19 टीकाकरण का सुरक्षित और प्रभावी होना साबित होता है. डेटा से संकेत मिलता है कि कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के फायदे संभावित नुकसान से बहुत ज्यादा होते हैं.


सीडीसी के डिविजन ऑफ रिप्रोडक्टिव हेल्थ की प्रमुख शाशा एलिन्गटन ने बुधवार को बताया कि प्रेगनेन्सी में वैक्सीन की सुरक्षा से संबंधित चिंता नहीं देखी गई. उन्होंने कहा कि प्रेगनेन्ट महिलाओं को कोविड-19 से बुरी तरह बीमार होने और प्रेगनेन्सी की दिक्कतों जैसे प्रिमेच्योर जन्म का खतरा ज्यादा होता है. वैक्सीन से कोविड-19 की रोकथाम की जा सकती है और ये उसका बुनियादी फायदा है. सीडीसी के मुताबिक उसके वी-सेफ डेटा के नए विश्लेषण में वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स और सुरक्षा की जांच पड़ताल की गई.


वैक्सीन की सुरक्षा पर सीडीसी का नया डेटा बना आधार


उससे पता चला कि प्रेगनेन्सी के 20 सप्ताह से पहले फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन इस्तेमाल करनेवाली महिलाओं में मिसकैरेज का ज्यादा खतरा नहीं पाया गया गया. इस तरह प्रेगनेन्सी के आखिरी तिमाही में भी टीकाकरण से महिलाओं या उनके बच्चों की सुरक्षा से संबंधित चिंता का पता नहीं चला.


टीकाकरण करानेवाली महिलाओं में मिसकैरेज की दर 13 फीसद रही और ये वैक्सीन इस्तेमाल नहीं करनेवाली प्रेगनेन्ट महिलाओं के बराबर थी. शाशा ने उसका भी खंडन किया कि वैक्सीन का प्रजनन क्षमता पर कोई प्रभाव होता है. उन्होंने कहा कि अबतक डेटा से कोई संकेत नहीं मिलता है कि कोई भी वैक्सीन महिलाओं या पुरुषों में बांझपन की समस्याओं का कारण बन सकती है. 


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