Emotional Detachment : कहीं आप दोनों के बीच भी तो इमोशनल डिटैचमेंट नहीं बढ़ रहा है. क्या आप भी अपने पार्टनर से अलग हो रहे हैं लेकिन इस बात का अंदाजा आप दोनों को नहीं है. लंबे समय के रिश्ते खासकर पति-पत्नी का रिश्ता ऐसा होता है, जो अपनेपन के एहसास से भरा होता है लेकिन जब उनमें से एक अपने साथी से इमोशनल लगाव खत्म कर देता है तो आगे बढ़ना कठिन हो जाता है. इस तरह के रिश्तों में दो लोग साथ तो रहते हैं लेकिन बिना किसी लगाव के. इसे ही इमोशनल डिटैचमेंट कहते हैं. आइए जानते हैं इमोशनल डिटैचमेंट के बारें में सबकुछ...
इमोशनल डिटैचमेंट क्या होता है
ऐसा इंसान जो अपने पार्टनर से अलग और कटा-कटा महसूस करता है, उसे इमोशनल डिटैचमेंट का शिकार माना जाता है. हालांकि, मनोवैज्ञानिक की माने तो ये किसी तरह की बीमारी नहीं है. लेकिन ऐसा शख्स डिप्रेशन में आ जाता है और उसका रिश्ता पहले जैसा नहीं रहता है. इमोशनल डिटैचमेंट डेली लाइफ के रिश्तों में बाधा डालने का काम करता है.
ऐसे लोग अपने इमोशन को छुपाना सीख जाते हैं.
रिश्ते में कोई लगाव नहीं
जब भी कभी आपका पार्टनर आपकी दिल की बात में किसी तरह की दिलचस्पी न दिखाए तो समझ जाएं कि अब रिश्ता एकतरफा रह गया है. ऐसे दौर में आप तो पार्टनर के साथ हमेशा नजदीकियां तो पढ़ाना चाहते हैं लेकिन पार्टनर का इंट्रेस्ट इसमें नहीं लगता है.
आपकी परवाह नहीं
अगर आपका पार्टनर आपके किसी काम की परवाह नहीं करता और खुद को सबसे पहले रखता है तो समझना चाहिए कि रिश्ते में कुछ नहीं बचा है. उन्हें बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता कि आपको क्या फील होता है. उन्हें इसकी चिंता भी नहीं रहती कि इन छोटी-छोटी बातों का रिश्तों पर क्या असर होगा.
इमोशनल डिटैचमेंट से बचने क्या करें
इमोशनल डिटैचमेंट रिश्तों को खराब कर देता है. ऐसे में रिश्तों को बचाने और पार्टनर के साथ कनेक्ट करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए. अगर आपकी आदत पार्टनर के साथ शेयर करने की नहीं है तो उन्हें मैसेज कर इसे बता सकते हैं. ऐसा करने से इस समस्या से बाहर आने के लिए हिम्मत मिलती है.
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