कम्यूनिकेश किसी भी रिश्ते का मूल है, जिससे यह तय होता है कि रिश्ता बनेगा या बिगड़ेगा. अगर हम यह कहें एक हेल्दी रिलेशनशिप का आधार है बातचीत का तरीका, तो गलत नहीं होगा. हालांकि, कभी-कभी हम अपनी जुबान का गलत इस्तेमाल कर जाते हैं, जिससे सामने वाले को निराशा और नाराजगी हो सकती है. हालांकि, इस बात को जानते हुए भी हम अक्सर वही कम्यूनिकेशन पैटर्न अपनाते हैं, जो हमें सूट करता है. भले ही वे हमारे अपने के लिए दुखक हो. हालांकि, हम ऐसा तभी करते हैं, जब हम उन्हें टेकन फोर ग्रान्टेड समझते हैं क्योंकि हम यही जानते हैं कि जो हमारा है हम उसे किसी भी तरह से ट्रीट कर सकते हैं. जबकि ऐसा करने से बचना चाहिए, वो भी खासकर किसी अपने के साथ.
पार्टनर से बात करते हुए रखें इन चीजों का ध्यान
इसलिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि जब हमारा पार्टनर हमसे कुछ शेयर कर रहा हो, तो उसकी बात को काटकर उसके ऊपर बात नहीं करनी चाहिए. जब पार्टनर कुछ साझा कर रहा हो, तो हमें तुरंत अपना नजरिया समझाने से पहले उसकी बात को खत्म करने का इंतजार करना चाहिए.
चाहे कुछ भी हो, हमें पार्टनर की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए, भले ही हम उनसे सहमत हों या न हों. कभी-कभी, ऐसा होता है कि आपका पार्टनर कोई सलाह या सुझाव नहीं बल्कि सिर्फ एक अच्छा श्रोता की तलाश कर रहा होता है, जो केवल उसे सुने. ऐसे में अगर आप उनसे अपना नजरिया बताएंगे, या उन्हें गलत मूड में जवाब देंगे, तो इससे वो आपसे दूर जा सकते हैं.
पार्टनर का दृष्टिकोण अलग हो सकता है - इसका मतलब यह नहीं है कि वे गलत हैं. यह पता लगाने की कोशिश करने के बजाय कि कौन सही है या गलत, हमें उन्हें वैसे ही स्वीकार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जैसे वे हैं.
किसी रिश्ते में हिसाब-किताब रखना- समय के साथ बहुत जहरीला हो सकता है. हमें लगातार अतीत को सामने लाने से बचना चाहिए. हमेशा अपने आज और आने वाले भविष्य की चर्चा करें, न कि टॉक्सिक कल की. विरोध करना या मना करना या जवाब देना या साथी को गलत टोन में जवाह देना या फिर उसे गिल्टी फील कराना रिश्ते को टॉक्सि बना स कता है.