जब एक व्यक्ति खुश होता है तो उसे चिंता नहीं होती. कई बार व्यक्ति रिश्ते में होने के बाद भी हर वक्त चिंतित महसूस करने लगता है. यह इसलिए होता है क्योंकि रिश्ते में कुछ बातें उस व्यक्ति को परेशान करती है. रिश्ते में एंग्जाइटी का महसूस होना से ये मतलब नहीं है कि आपको रिश्ते को खत्म करने की सोचनी चाहिए. आज हम आपको कुछ कारणों के बारे में बता रहे हैं जिनके कारण आप रिश्तों में एंग्जाइटी फील कर सकते हैं.


ऑफिस के काम का तनाव 


काम से संबंधित तनाव अक्सर रिश्तों में देखा जाता है. आज के समय में काम लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. यह होना गलत नहीं है. काम का महत्व हमेशा बना रहना चाहिए, लेकिन काम का तनाव आपके रिश्ते पर प्रभाव नहीं डालना चाहिए. जब आपके काम का तनाव आपके रिश्ते पर प्रभाव डालने लगता है, तो स्वाभाविक रूप से समस्याएं उत्पन्न होती हैं जो चिंता का कारण बनती हैं. काम के तनाव को रिश्तों से दूर रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इसे कैसे संतुलित रखें. इसके अलावा आपके साथी के काम के तनाव को समझने का प्रयास करना भी महत्वपूर्ण है. जब आप रिश्ते और काम के बीच संतुलन बनाए रखेंगे, तो आपके और आपके साथी के बीच कोई समस्याएं नहीं होगी और चिंता दूर रहेगी.


बातों को समझाने की कोशिश करें


जब हम किसी के साथ रिश्ते में होते हैं, तो हम उसके साथ सभी बातें शेयर करते हैं. ऐसे में कभी-कभी आप अपने साथी के साथ वह भावनाएं शेयर करते हैं जो उन्हें असहज महसूस करा सकती हैं. इस स्थिति में आपके साथी को आपकी भावनाओं को असहज महसूस करने की बजाय आपकी भावनाओं को समझने की जिम्मेदारी होती है. जब आपके साथी आपकी भावनाओं को समझने में असमर्थ होते हैं, तो कुछ समय बाद आप उनके साथ चीजें शेयर करना बंद कर देते हैं, जो चिंता का कारण बनता है. इसलिए आपके साथी की भावनाओं को असहज महसूस करने की बजाय, उनकी भावनाओं को समझना महत्वपूर्ण है. इस तरह आपका रिश्ता हमेशा स्वस्थ रहेगा.


पास्ट से बाहर निकलने की कोशिश


पास्ट के अनुभवों का प्रभाव खासकर से पीड़ा संबंधित अनुभवों का हमारे रिश्तों पर असर पड़ता है. आपको यह सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए कि आपका अतीत आपके रिश्ते पर प्रभाव नहीं डालता. अक्सर लोग अपने अतीत अनुभवों को साथ ले जाते हैं. यह आपके और आपके साथी के बीच समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसके कारण आप रिश्ते में चिंता महसूस कर सकते हैं. आपको अपने साथी के साथ अपने अतीत के अनुभवों के बारे में खुलकर बातचीत करनी चाहिए. इसके अलावा आपके साथी को आपके अतीत के आधार पर आपकी निंदा करने की बजाय, आपको उस अनुभव से बाहर निकालने में मदद करनी चाहिए.


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