Relationship Tips: किसी भी उम्र में कर सकते हैं फिर से नए रिश्ते की शुरुआत, बस बदलना होगा नज़रिया
दो तलाक और 44 साल उम्र के बाद परफेक्ट रिलेशनशिप बनने की ये कहानी आपको भी इंस्पायर कर सकती है. आइये इसके बारे में जानते हैं और अपने जीवन में प्रेरणा लेते हैं.
रिलेशनशिप जिंदगी का ऐसा पहलू है जो ठीक हो तो पूरा जीवन गुलजार हो सकता है. लेकिन इसमें जरा भी उतार-चढ़ाव आपकी लाइफ के दूसरे फ्रंट्स को बुरी तरह झकझोर सकता है. एक बेहतरीन रिलेशनशिप के लिए सही पार्टनर का मिलना इकलौती शर्त है. कुछ लोग खुशकिस्मत होते हैं, जिन्हें कम उम्र में ही एक अच्छा पार्टनर मिल जाता है, जबकि कई लोगों को यह खुशी पूरी जिंदगी नहीं मिल पाती. कुछ लोग शुरुआत में ही गलत पार्टनर चुनने की वजह से इमोशनली इतने टूट जाते हैं कि जिंदगी को दूसरा मौका देने से कतराते हैं. लेकिन कुछ लोग हिम्मत नहीं हारते और सही जीवनसाथी की तलाश का रास्ता कभी बंद नहीं करते और एक दिन जिंदगी भी उनपर मेहरबान हो ही जाती है.
ऐसी ही कुछ कहानी है मशहूर राइटर और जर्नलिस्ट एंड्रिया जावर की, जिन्हें दो बार तलाक का दर्द झेलने के बाद 44 वर्ष की उम्र में जाकर एक परफेक्ट लाइफ पार्टनर मिला. उनकी जिंदगी उन तमाम लोगों की लिए एक इंस्पिरेशन हो सकती है, जो ब्रेकअप या डायवोर्स के बाद निराश हो गए.
जावर ने इस बारे में खुद लिखती हैं कि- 40 साल की उम्र में, मेरा दो बार तलाक हो चुका था और मैं यह समझने के लिए जूझ रही थी कि मुझसे कहां गलती हुई. मैंने हमेशा सोचा था कि मैं एक अच्छे पति और दो बच्चों के साथ एक प्यारा घर बसाउंगी. लेकिन मेरा जीवन इस तरह नहीं निकला.
जावर आगे लिखती हैं- जब मैं 40 वर्ष की हुई, तो निसंतान, दो छोटी शादियों के बाद तलाक की तकलीफ और अपमान से जूझ रही थी. मैंने तलाक के दर्द से उबरने में मदद के लिए तरीके जुटाए. इनमें एक डॉक्टर, एक डेटिंग कोच, एक मेडिटेशन मेंबरशिप, और मेरे सबसे अच्छे दोस्त के सोफे पर घंटों तक रोना शामिल था. तब मैंने अपने बर्थडे से पहले एक बेकरी के बाहर एक सरल, लेकिन शक्तिशाली लाइन पढ़ी जिसने मेरे जीवन की दिशा बदल दी. "जिंदगी उस संतुलन का नाम है, जो हम इसे बनाते हैं और जो ये है."
जावक ने लिखा है- मैंने अपने आप को थोड़ी सांस लेने की जगह दी - जो दो दशक से कहीं अटकी हुई थी. मुझे इस बात में दिलचस्पी हो गई कि अपनी कहानी का मनगढ़ंत अंत लिखने के लिए मैं खुद पर जो दबाव डाल रही थी, उसके बिना जीवन कैसा दिख सकता है. मैंने फैसला किया कि मैं डेट पर जाऊंगी. मैंने उस बदकिस्मत से खुद को बचाने कि लिए तय कर लिया था, जो मैंने दो असफल विवाहों के बाद झेली थी.
मेरे द्वारा किए गए सबसे अच्छे कामों में से एक यह था कि मैंने अपने कैलेंडर को उन चीज़ों से भर दिया जो मुझे पहले से ही करना पसंद था. फिर मैंने डेटिंग को सेकंडरी फोकस बना दिया. डेटिंग ऐप पर अपनी प्रोफ़ाइल अपलोड करने के बाद, मैंने सभी नोटिफिकेशन बंद कर दिए. मैंने लॉग इन करने,मैसेज पढ़ने और उन पर रिप्लाई देने के लिए हर दिन सिर्फ 30 मिनट का समय निश्चित किया. मेरा जीवन भरपूर था और मैं विचलित नहीं होना चाहता था.
जब मेरी पसंद के अनुसार मैच की बाढ़ आ रही थी, मैं दोस्तों के साथ बाहर थी, शिकागो झील के किनारे अपनी बाइक चला रहा था, गैरेज में फर्नीचर रिइनोवेट कर रही थी, और अपने नोबेल पर काम कर रही थी. इस रणनीति की खूबी यह थी कि डेटिंग मेरी रुटिन लाइफ पर हावी हुए बिना उसका एक हिस्सा बन गई.
जल्दी ही लगातार रिप्लाई करने और हर सप्ताह एक नए इंसान से मिलने को मैंने दिनचर्या में शामिल कर लिया था. मैंने इस बात पर भी अधिक ध्यान दिया कि डेट कैसी चल रही थी इसके विपरीत मैं कैसा महसूस कर रही थी. जब मैं अपनी पहली डेट के लिए अपने बॉयफ्रेंड से मिली, तो मैं एक मजेदार शाम बिताने की उम्मीद में वहां गई थी और इससे ज्यादा कुछ नहीं. हम पहले महीने में सप्ताह में एक बार बाहर जाते थे, फिर दूसरे और तीसरे महीने में अधिक नियमित रूप से बात करना शुरू कर दिया.
जैसे-जैसे मैंने उसे जाना, मुझे एहसास हुआ कि मैंने वास्तव में खुद को उसे समझने का समय दिया, जो मैं पिछली भागदौड़ भरे अफेयर्स की वजह से कभी नहीं कर पाई. मैं समझ गई कि उसने अपना समय कैसे मैनेज किया हुआ था. जब उसने हमारे अफेयर के दौरान चौथी और सातवीं बार अपने माता-पिता के रिश्ते के बारे में बात की तो मुझे उसकी आवाज़ में गर्मजोशी महसूस हुई. मैंने भी उसकी एक्स वाइफ के बारे में बात की, यह जानते हुए कि एक बार हमारे बीच विश्वास का स्तर विकसित हो जाने पर उत्तर और गहरा हो जाएगा.
जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि मैंने डेटिंग में जो एनर्जी लगाई वह वास्तव में खुद को और उसे समझने के लिए एक इन्वेस्टमेंट था. मुझे आखिरकार सही इंसान को चुनने में कामयाबी मिली. मैं और मेरा बॉयफ्रेंड अब लगभग तीन साल से साथ हैं. 44 साल की उम्र में, मैं निश्चित रूप से चाहती हूं कि काश मैं उससे जीवन में पहले ही मिल गई होती. लेकिन मैं इस रास्ते में सीखे गए सबक को किसी भी चीज़ के लिए नहीं बदलूंगी.