रविवार को सूर्य भगवान की पूजा करना श्रेष्ट माना गया है. 12 अप्रैल को रविवार है और 13 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. जिसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन महत्वपूर्ण पर्व बैसाखी भी है. इस दिन रविवार को सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है.


रविवार व्रत की कथा


पौराणिक कथा के अनुसार पुराने समय में एक वृद्ध महिला हर रविवार को प्रात:काल उठकर नहा धोकर अपने घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर सूर्य भगवान की पूजा करती थी और उन्हें भोग लगाकर ही स्वयं भोजन करती. वृद्ध महिला के पास गाय नहीं थी इसलिये पड़ोसियों के यहां से गाय का गोबर उसे लाना पड़ता था.


वृद्ध महिला भूखी ही सो गई


प्रत्येक रविवार के दिन सूर्य भगवान की आराधना करने से वृद्ध महिला की स्थिति में सुधार होने लगा. वृद्ध महिला के दिन फिरते देख पड़ोसी को जलन होने लगी. पडोसी ने रविवार के दिन उसने अपनी गाय को अंदर बांधना शुरु कर दिया, वृद्ध महिला को गोबर नहीं मिला और घर की लिपाई भी नहीं हुई. लिपाई न होने के कारण बुढ़िया ने कुछ नहीं खाया और भूखी ही सो गई.


सूर्य देव ने जब दर्शन दिये


तभी उसे सपने में सूर्य देव ने दर्शन दिये और पूछा कि आज आपने मुझे भोग क्यों नहीं लगाया. बुढ़िया ने बताया कि उसके पास गाय नहीं है और वह पड़ोसन की गाय का गोबर लाकर लिपाई करती थी. पड़ोसन ने अपनी गाय अंदर बांध जिस कारण वह घर की लिपाई नहीं कर सकी और लिपाई न होने के कारण ही वह भोजन नहीं बना पाई. तब सूर्य देव ने कहा हे माता मैं आपसे से बहुत प्रसन्न हूं. आपको मैं एक ऐसी गाय देता हूं जो सभी इच्छाएं पूर्ण करती है. सुबह जब वृद्ध महिला की आंख खुली तो उसने अपने आंगन में एक बहुत ही सुंदर गाय व बछड़े को पाया. उसने उन्हें बांध लिया और बड़ी श्रद्धा के साथ गाय की सेवा करने लगी.


पड़ोसी को होने लगी जलन


जब पड़ोसन ने उसके यहां गाय देखी तो वह और भी जलने लगी. उस समय तो पड़ोसन के आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसने देखा कि गाय सोने का गोबर कर रही है. बुढिया उस समय वहां पर नहीं थी. पड़ोसन ने इसका फायदा उठाते हुए अपनी गाय का गोबर वहां रख दिया और सोने के गोबर को उठा ले गई. गाय हर रोज सूरज उगने से पहले गोबर करती और पड़ोसन उठा ले जाती बुढ़िया को यह पता ही नहीं चला कि उसकी गाय सोने का गोबर करती है. पड़ोसन रातों रात अमीर होती गई.


सूर्य देव नाराज़ हुए


सूर्य देव को यह देखकर बहुत बुरा लगा और उन्होंने शाम को तेज आंधी चलवा दी, आंधी के कारण वृद्ध महिला ने गाय को अंदर बांध दिया. सुबह उसने देखा कि गाय तो सोने का गोबर करती है. फिर वह हर रोज गाय को अंदर बांधने लगी. अब पड़ोसन से यह सहन न हुआ और उसने राजा को बता दिया कि वृद्ध महिला के पास सोने का गोबर करने वाली गाय है. पहले तो वे हैरान हुए लेकिन वृद्ध महिला को चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो तुम्हारी खैर नहीं. उन्होंने अपने सैनिक भेजकर वृद्ध महिला के यहां से गाय लाने का हुक्म दिया. सैनिक गाय ले आए. अब देखते ही देखते गोबर से सारा महल भर गया, हर और बदबू फैल गई.


राजा को सबक सिखाया


राजा को सपने में सूर्य देव दिखाई दिए और कहा कि हे मूर्ख यह गाय उस वृद्दा के लिये ही है. वह हर रविवार नियम पूर्वक व्रत रखती है. इस गाय को वापस लौटाने में ही तुम्हारी भलाई. राजा की जैसे ही नींद खुली उसने वृद्ध महिला को बुलाकर बहुत सारा धन दिया और क्षमा मांगते हुए सम्मान पूर्वक वापस भेजा. पड़ोसन को राजा ने दंडित किया और साथ ही पूरे राज्य में घोषणा करवाई की आज से सारी प्रजा रविवार के दिन उपवास रखेगी व सूर्य देव की पूजा करेगी. रविवार के व्रत से पूरे राज्य में सुख समृद्धि आने लगी और जनता भी प्रसन्न रहने लगी. राजा की ख्याति भी चारों दिशाओं में फैल गई.


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