Jyotirlinga : 6 दिसंबर को सोमवार का दिन है. मान्यता है कि सोमवार के दिन ज्योतिर्लिंग के स्मरण और शिवपूजा पूजा से कई गुना पुण्य मिलता है. देश भर में भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग हैं. मान्यता है कि ये सभी ज्योतिर्लिंग शिव के प्रिय स्थान और निवास हैं. श्रावण मास में शंकरजी पृथ्वीलोक भ्रमण करते हैं, इस दौरान वे काशी भी आते हैं, लेकिन काशी का महादेव के परिपेक्ष में एक दूसरा वृहद महत्व है. मान्यता है कि प्रलय आने पर भी कभी काशी का कभी लोप नहीं हुआ, ऐसा इसलिए क्योंकि पहले ही भोलेनाथ खुद काशी को अपने त्रिशूल पर उठा लेते हैं, इस तरह काशी की सुरक्षा बच जाती है. प्रलय शांत होने पर शिवजी काशी को वापस नीचे उतार देते हैं, इसीलिए कहा जाता है कि काशी के कण-कण में भगवान शिव विराजमान है.


मान्यता है कि भगवान विष्णु ने भी काशी में ही तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था. शिवजी का सातवां ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ मंदिर बनारस में स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार काशी में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता यह भी है कि भगवान महादेव खुद यहां मरते हुए व्यक्ति के कानों में तारक मंत्र का उपदेश सुनाते हैं. मत्स्य पुराण में भी यह वर्णित है. इसके चलते पूरे देश से लोगों अपने मृत हो चुके परिजनों की अस्थियां आदि विसर्जित करने काशी आते हैं. विदेश से भी सनातन धर्म के प्रति रूझान रखने वाले लोग काशी आते हैं.
 
शिव पार्वती का सबसे प्रिय स्थान है काशी
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर बनारस में गंगा नदी के पश्चिम तट पर स्थित है. यह शिव पार्वती का सबसे प्रिय स्थान है, यहां प्रभु के दर्शन से पहले श्रद्धालुओं को भैरव के दर्शन करने होते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि भैरव जी के दर्शन किए बगैर विश्वनाथ के दर्शन का लाभ नहीं मिलता है.


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