Putrada Ekadashi : आम तौर पर एक माह में दो एकादशी होती हैं, इसके चलते वर्ष में 24 बार एकादशी आती हैं, जिनका व्रतपूजन हमेशा फल दायी होता है. हालांकि हर तीसरे वर्ष अधिकमास के चलते दो और एकादशियां जुड़कर कुल 26 हो जाती हैं. पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति एकादशी व्रतपूजन करता है, वह कभी भी संकटों से नहीं घिरता. जीवन में धन-समृद्धि बढ़ती जाती है.


हर माह में पड़ने वाली एकादशी


- चैत्र में कामदा, वरुथिनी एकादशी पड़ती है. कामदा से राक्षस आदि योनि से छुटकारा मिलता है तो सर्वकार्य सिद्धि मिलती है. वरुथिनी सौभाग्य, मोक्षदाता होने के साथ पापों को नष्ट करने वाली होती हैं.


- वैशाख में मोहिनी और अपरा एकादशी आती है, जो विवाह, सुख, समृद्धि और शांति देती हैं, मोह-माया के बंधनों से मुक्त करती हैं अपरा व्रत से अपार खुशियां मिलती हैं और पाप कटते हैं.


- ज्येष्ठ में निर्जला, योगिनी एकादशी होती हैं. इन्हें करने से हर प्रकार की मनोरथ सिद्धि होती है. योगिनी एकादशी से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और व्यक्ति पारिवारिक सुख पाता है.


- आषाढ़ में देवशयनी, कामिका हैं. देवशयनी एकादशी व्रत से सिद्धि मिलती है और सभी उपद्रव शांत कर सुखी बनाती है. कामिका व्रत पापों से मुक्त कर जीव को कुयोनि से बचाता है.
- श्रावण में पुत्रदा, अजा एकादशी होती है. पुत्रदा एकादशी से संतान सुख मिलता है, अजा से पुत्र पर संकट नहीं आता, दरिद्रता दूर हो जाती है, खोया हुआ सबकुछ पुन: प्राप्त हो जाता है.
- भाद्रपद में परिवर्तिनी इंदिरा एकादशी आती हैं. परिवर्तिनी व्रत से दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है. पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली इंदिरा एकादशी के व्रत से स्वर्ग मिलता है.
- आश्‍विन में पापांकुशा, रमा एकादशी आती हैं. पापांकुशा सभी पापों से मुक्त कर अपार धन, समृद्धि और सुख देती है, रमा एकादाशी व्रत करने से सभी सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.


- कार्तिक में प्रबोधिनी, उत्पन्ना एकादशी आती हैं. देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी व्रत से भाग्य जाग्रत होता है. इस दिन तुलसी पूजा भी की जाती है. उत्पन्ना से हजार वाजपेय,, अश्‍वमेध यज्ञ का फल मिलता है. इससे देवता और पितर तृप्त होते हैं।


- मार्गशीर्ष में मोक्षदा, सफला एकादशी आती हैं. मोक्षदा एकादशी मोक्ष देने वाली और सफला एकादशी सफल करने वाली होती हैं. सफला व्रत से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है.


- पौष में पुत्रदा, षटतिला एकादशी आती हैं. पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत करना चाहिए। षटतिला व्रत से दुर्भाग्य, दरिद्रता और अनेक कष्ट दूर होकर मोक्ष प्राप्ति होती है.


- माघ में जया, विजया एकादशी आती हैं. जया व्रत से ब्रह्महत्यादि पापों से छूट मिलती है. व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है, भूत, पिशाच आदि योनियों में नहीं जाता है. विजया से भयंकर परेशानी से छुटकारा पाता है. इससे श‍त्रुओं का नाश होता है.


- फाल्गुन में आमलकी पापमोचिनी एकादशी आती हैं. आमलकी में आंवले का विशेष महत्व है, इससे सभी रोगों से मुक्ति मिलती है. हर कार्य में सफल होता है. पापमोचिनी व्रत से पाप नाश होता है.


- अधिकमास में पद्मिनी (कमला), परमा एकादशी आती हैं. पद्मिनी व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है. यह पुत्र, कीर्ति और मोक्ष देने वाला है। परमा एकादशी धन-वैभव देती है, पापों का नाश कर उत्तम गति भी देने वाली होती है.