Solar Eclipse 2020: 21 जून को लगने वाला सूर्यग्रहण इस साल का यह पहला सूर्यग्रहण होगा जो भारत में दिखाई देगा. ग्रहण की पूरी प्रक्रिया वैसे तो एक खगोलीय घटना होती है लेकिन शायद यह आपको मालूम नहीं होगा कि इस खगोलीय घटना की जानकारी सबसे पहले किसे और कहां हुई थी, आपको यहां यह बताते हैं.


शास्त्रों में है सूर्यग्रहण का महिमा मंडन


धार्मिक वैज्ञानिकों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सनातन धर्म के शास्त्रों में सूर्यग्रहण के महिमा मंडन का काफी वर्णन किया गया है. इन शास्त्रों में सूर्यग्रहण के कारण सभी जीव-जंतुओं, नदियों और सागरों के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी बताया गया है. शास्त्रों में इसके वैज्ञानिक पहलुओं पर भी विस्तृत वर्णन किया गया है. वैदिक कालीन शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के खगोलीय ज्ञान की जानकारी हमारे पूर्वजों को हजारों साल पहले से ही थी. उनके अनुसार वेदांग ज्योतिष में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है.


सूर्यग्रहण का इतिहास


धार्मिक वैज्ञानिक और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऋग्वेद के अत्रिमुनि और उनके परिवार को ग्रहण के बारे में पूरा ज्ञान था. इसीलिए ग्रहण की जानकारी प्रदान करने के लिए महर्षि अत्रिमुनि को प्रथम आचार्य भी कहा जाता हैं. ऋग्वेद में एक जगह एक मन्त्र में सूर्यग्रहण का वर्णन किया गया है. जहाँ पर यह कहा गया है कि असुर राहु ने सूर्यदेव पर आक्रमण कर सूर्यदेव को अपने अन्धकार के आगोश में ले लिया है जिसके कारण मनुष्य सूर्यदेव को नहीं देख पा रहे हैं. उस समय महर्षि अत्रिमुनि ने ही अपने तपोबल के द्वारा राहु की छाया को हटाकर सूर्यदेव का उद्धार किया था.


ऋग्वेद में एक अन्य जगह एक दूसरे मन्त्र में भी यह बताया गया है कि महर्षि अत्रिमुनि की सहायता से ही इंद्र ने राहु की इस सीमा से सूर्यदेव की रक्षा किया था. इसके बाद पुराणों से भी हमें खगोलीय घटनाओं की भी जानकारी प्राप्त होती है. महाभारत में भी सूर्यग्रहण का वर्णन किया गया है.


ग्रहण के समय भूल कर भी करें ये 6 काम




  1. ग्रहण काल के समय खाने-पीने का कार्य, कोई शुभ कार्य, पूजा-पाठ का कार्य और जमीन खोदने का कार्य, आदि नहीं करना चाहिए.

  2. ग्रहण के समय शरीर पर किसी प्रकार का लेपन अथवा मालिश का कार्य भी नहीं करना चाहिए.

  3. ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.

  4. ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को कटाने-छाँटने का भी कोई कार्य नहीं करना चाहिए और न ही शरीर की मालिश करवानी चाहिए.

  5. त्वचा, आँख और एलर्जी के रोगियों को भी ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.

  6. ग्रहण के समय तुलसी के पत्तों को भी नहीं तोड़ना चाहिए.


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