Navratri 2020: नवरात्रि में बीज मंत्रों के साथ मां दुर्गा के स्वरुपों की पूजा करने से फल प्राप्ति की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. बीज मंत्रों का अपना अलग ही महत्व है. माना जाता है कि संसार में हर जीव की उत्पत्ति बीज से ही हुई है. बीज को जीवन की उत्पत्ति का कारक माना गया है. पूजा के दौरान उच्चारित किए जाने वाले बीज मंत्र भी इसी तरह से कार्य करते हैं.
हिन्दू धर्म के अनुसार सभी देवी-देवताओं के सम्पूर्ण मन्त्रों के प्रतिनिधित्व करने वाले शब्द को बीज मंत्र कहा गया है. सभी वैदिक मंत्रो का सार बीज मंत्रो को माना जाता है. ग्रंथों के मुताबिक " ॐ " को सबसे बड़ा बीज मंत्र माना जाता है. बीज मंत्रों को सभी मंत्रों के प्राण के रूप में माना गया है, जिनके प्रयोग से मंत्रों की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है.
बीज मंत्रों के जाप की विधि
नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरुपों के बीज मंत्रों को सुबह 4 बजे लेकर सुबह 7 बजे तक इन मंत्रों का जाप करना चाहिए. इन मंत्रों का जाप प्रतिदिन 1100 बार तुलसी या लाल चंदन की माला से करना चाहिए. इस प्रकार से 9 दिनों कुल 9 हजार मंत्रों के जप का विधान हैं.
दुर्गा नवमी पर यज्ञ करेंं
नवरात्रि के अंतिम दिन यानि नवमी तिथि को 251 मंत्रों की आहुति का यज्ञ करने चाहिए. ऐसा करने से जप का फल शीघ्र मिलने लगता हैं.
9 देवियों के 9 बीज मंत्र
1- शैलपुत्री - ह्रीं शिवायै नम: ।।
2- ब्रह्मचारिणी - ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: ।।
3- चन्द्रघंटा - ऐं श्रीं शक्तयै नम: ।।
4- कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम: ।।
5- स्कंदमाता - ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ।।
6- कात्यायनी - क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ।।
7- कालरात्रि - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ।।
8- महागौरी - श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: ।।
9- सिद्धिदात्री - ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ।।
नवरात्रि में मां दुर्गा के इन स्वरूपों की जाती है पूरे नौ दिनों तक पूजा