Navratri 2020: 1962 के बाद इस बार नवरात्रि पर बन रहा है ऐसा दुर्लभ संयोग,पढ़ें डिटेल्स और जानें घट स्थापना का सही समय
Navratri 2020: इस बार नवरात्रि पर एक ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जो कि पिछले 58 साल पहले अर्थात 1962 में बना था. आइये जानें इसके क्या लाभ हैं? और घट स्थापना का सही समय क्या है?
Ghatsthapana in Navratri 2020: आज 17 अक्टूबर 2020 से आदिशक्ति माँ दुर्गा की उपासना का पावन पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है. यह नवरात्रि का पावन पर्व 25 अक्टूबर को खत्म होगा. इस 9 दिनों में माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही है. इस लिए इस बार माँ दुर्गा की आराधना के लिए पूरे 9 दिन मिल रहें हैं. नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना घटस्थापना से शुरू होती है इस लिए घटस्थापना का बड़ा महत्त्व है. तो आइये जानें घटस्थापना का सही समय और सही मुहूर्त.
घटस्थापना का सही समय:
पुरुषोत्तम मास की वजह से पितृ-विसर्जन अमावस्य़ा के एक माह बाद नवरात्रि प्रारम्भ हो रही हैं. देवी भगवती कई विशिष्ट योग-संयोग के साथ अश्व पर सवार होकर अपने मंडप में आज विराजमान हो रही हैं. इसी विशिष्ट योग-संयोग के साथ इस घटस्थापना के लिए साढ़े 6 घंटे का समय मिल रहा है. घटस्थापना के कार्यक्रम का समय सुबह 6 बजकर 27 मिनट से ही है. व्रतधारी घटस्थापना सुबह 6.27 बजे से शुरू कर सकते हैं. घटस्थापना का मुहूर्त निम्न प्रकार से है.
- शुभ समय - सुबह 6:27 से 10:13 तक ( विद्यार्थियों के लिए अतिशुभ)
- अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:44 से 12:29 तक ( सर्वजन)
- स्थिर लग्न ( वृश्चिक)- प्रात: 8.45 से 11 बजे तक ( शुभ चौघड़िया, व्यापारियों के लिए श्रेष्ठ)
ये है विशेष संयोग
इस बार नवरात्रि में शनि व गुरु दोनों अपनी राशि में विराजे हैं, अर्थात शनि, मकर में और गुरु, धनु राशि में रहेंगे, जो अच्छे कार्यों के लिए दृढ़ता लाने में बलवान साबित होगा. नवरात्रि में शनि और गुरु का अपने राशि में विराजमान होने का यह दुर्लभ संयोग 58 वर्ष के बाद आया है. इसके पहले गुरु और शनि की यह स्थिति 1962 में पड़े नवरात्रि में हुई थी. इसके अलावा इस बार नवरात्रि पर राजयोग, द्विपुष्कर योग, सिद्धियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धियोग और अमृत योग जैसे संयोगों का निर्माण हो रहा है. साथ ही इस बार नवरात्रि दो शनिवार भी पड़ रहे हैं. यह संयोग नवरात्र पर्व को कल्याणकारी और लाभकारी बनाएगा.
इस बार नहीं क्षय हो रही है कोई तिथि
- प्रतिपदा - 17 अक्टूबर
- द्वितीय - 18 अक्टूबर
- तृतीया - 19 अक्टूबर
- चतुर्थी - 20 अक्टूबर
- पंचमी - 21 अक्टूबर
- षष्टी - 22 अक्टूबर
- सप्तमी - 23अक्टूबर
- अष्टमी - 24 अक्टूबर
- नवमी - 25 अक्टूबर