Aaj Ka Panchang: आज 24 अगस्त हलषष्ठी का शुभ मुहूर्त, राहुकाल और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जानें
Aaj Ka Panchang: आज 24 अगस्त 2024 को हलषष्ठी (Hal shashthi) है. इस दिन संतान के लिए व्रत किया जाता है. आज महुआ खाना चाहिए. जानें आज का पंचांग, मुहूर्त, राहुकाल (Rahu Kaal).
Aaj Ka Panchang: आज 24 अगस्त 2024 को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी और पंचमी तिथि दोनों है. आज हलषष्ठी व्रत (Hal shashthi) है, इस व्रत को 'ललही छठ' या 'हर छठ' के नाम से भी जाना जाता है.
हलषष्ठी व्रत (Harchat) के दिन महिलाएं बच्चे की दीर्धायु और उसके अच्छे स्वास्थ के लिए व्रत करती हैं. इस दिन आंगन में झरबेरी, पलाश और कांसी की टहनी लगाकर, छठ्ठी माता की पूजा करें. सात अनाजों को मिलाकर बनाया हुआ सतनजा और दही-तिन्नी के चावल का भोग लगाएं. इससे संतान के हर कष्ट दूर होते हैं.
रात में चांद को जल के छींटे देकर कुमकुम, चन्दन, मोली, अक्षत चढ़ाएं. भोग अर्पित करें. इसके बाद ही व्रत का पारण करें. आइए जानते हैं आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त (Shubh muhurat 24 August 2024), राहुकाल (Aaj Ka Rahukaal), शुभ योग, ग्रह परिवर्तन, व्रत-त्योहार, तिथि आज का पंचांग (Panchang in Hindi).
आज का पंचांग, 24 अगस्त 2024 (Calendar 24 August 2024)
तिथि | पंचमी (23 अगस्त 2024, सुबह 10.38 - 24 अगस्त 2024, सुबह 07.51, इसके बाद षष्ठी तिथि शुरू ) |
पक्ष | कृष्ण |
वार | शनिवार |
नक्षत्र | अश्विनी |
योग | गण्ड |
राहुकाल | सुबह 09.18 - सुबह 10.53 |
सूर्योदय | सुबह 06.06 - शाम 06.53 |
चंद्रोदय |
रात 10.09 - सुबह 10.40 |
दिशा शूल |
पूर्व |
चंद्र राशि |
मेष |
सूर्य राशि | सिंह |
शुभ मुहूर्त, 24 अगस्त 2024 (Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04.36 - सुबह 05.21 |
अभिजित मुहूर्त | दोपहर 12.04 - दोपहर 12.55 |
गोधूलि मुहूर्त | शाम 06.53 - रात 07.16 |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02.38 - दोपहर 03.29 |
अमृत काल मुहूर्त |
सुबह 11.26 - दोपहर 12.55 |
निशिता काल मुहूर्त | रात 12.08 - प्रात: 12.53, 25 अगस्त |
24 अगस्त 2024 अशुभ मुहूर्त (Aaj Ka ashubh Muhurat)
- यमगण्ड - दोपहर 02.04 - दोपहर 03.40
- आडल योग - शाम 06.06 - सुबह 06.07, 25 अगस्त
- गुलिक काल- सुबह 06.07 - सुबह 07.42
- विडाल योग - सुबह 06.07 - सुबह 06.06
- भद्रा काल - सुबह 05.30 - सुबह 06.07, 25 अगस्त
आज का उपाय
आज शनिवार को शनि देव को प्रसन्न करने का दिन है. इसके लिए शाम को पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक लगाएं और शनि चालीसा (shani chalisa) का पाठ करें. इससे शनि की साढ़ेसाती (Shani sade sati) और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम होते हैं.
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