Aaj ka Panchang, 15 August Live: आज भानु सप्तमी पर सूर्य पूजा के लिए 4 साल बाद बना है यह अद्भुत संयोग, करें यह उपाय, मिलेगी सुख समृद्धि
Aaj ka Panchang Today 15 August 2021 Masik Durgashtmi Live Updates: आज सावन की मासिक दुर्गाष्टमी व रविवार का दिन है. रविवार को सूर्य देव की उपासना आरोग्य बर्धक एवं शुभ फलदायी होती है.
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Background
Aaj ka Panchang Today 15 August 2021 Masik Durgashtmi Live Updates: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज सावन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. आज 15 अगस्त 2021 दिन रविवार है. आज सावन की शुक्ल अष्टमी सुबह 9 बजकर 51 मिनट के बाद से शुरू हो रही है. इसके पहले सप्तमी तिथि थी. आज सावन की मासिक दुर्गाष्टमी है. यह दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है. इस दिन व्रत रखकर माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा- अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
आज रविवार का दिन है. यह दिन सूर्य देव का व्रत रखने एवं उनकी उपासना करने के लिए उत्तम होता है. सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है. ये प्रतिदिन सुबह निकल कर पूरे संसार को ऊर्जा और शक्ति से आलोकित करते हैं. इन्हें सभी ग्रहों राजा कहा जाता है. मान्यता है कि रविवार के दिन सूर्य की पूजा करने तथा उनको नियमित अर्घ्य प्रदान करने से रोग और ग्रह दोष समाप्त हो जाता है.
आज पूरे देश में 75वां स्वतंत्रता दिवस धूम धाम से मनाया जा रहा है. आज तुलसी जयंती भी है.
आज का पंचांग
- आज का मास, पक्ष, तिथि व दिन: श्रावण मास, शुक्ल पक्ष, अष्टमी तिथि व रविवार
- आज का दिशाशूल: पूर्व दिशा में
- आज का राहुकाल: 15 अगस्त को 5:22 पीएम से 07:00 पीएम तक
- आज का पर्व एवं त्योहार: अष्टमी तिथि, मासिक दुर्गाष्टमी व्रत, सूर्य देव की पूजा
सूर्य और चन्द्रमा के उदय एवं अस्त होने का समय
सूर्योदय और सूर्यास्त: आज के दिन सूर्योदय प्रात:काल 5 बजकर 50 मिनट पर हुआ है, वहीं सूर्यास्त शाम को 06 बजकर 59 मिनट पर होगा.
चंद्रोदय और चंद्रास्त: आज का चंद्रोदय सुबह 12 बजकर 35 मिनट पर हुआ है. चंद्र के अस्त का समय आज इसी दिन रात को 11 बजकर 33 मिनट पर है.
जानें भानु सप्तमी पूजा के विशेष लाभ
- भानु सप्तमी पर सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है और मानसिक शांति मिलती है.
- वह व्यक्ति कभी भी अंधा, दरिद्र, दुखी नहीं रहता.
- व्यक्ति की बीमारियां दूर होंगी, उसका करियर बेहतर होगा.
- कुंडली में सूर्य ग्रह (Sun) मजबूत होकर शुभ फल देगा.
- सूर्य की पूजा करने से मनुष्य के सब रोग दूर हो जाते हैं.
- भानु सप्तमी के दिन दान करने से पुण्य बढ़ता है और माता लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं.
- पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत करने से पिता और पुत्र में प्रेम बना रहता है.
- इस दिन सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए. इससे धन की कभी कमी नहीं होती है.
कैसे बनती है भानुमती सप्तमी?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब सप्तमी तिथि रविवार को होती है तो वह सप्तमी तिथि भानु सप्तमी के योग का निर्माण करती है. भानु सप्तमी के दिन सूर्य स्त्रोत का पाठ करने और सुनने वाले भक्तों को बहुत लाभ होता है. ग्रंथों के मुताबिक, भानुमती सप्तमी को सूर्य का विशेष पूजन करना चाहिए. इससे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. सूर्यदेव का स्थान नौ ग्रहों में सबसे श्रेष्ठ है.
सूर्य पूजा के लिए 4 साल बाद बना है यह अद्भुत संयोग
आज सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और दिन रविवार है. सावन शुक्ल सप्तमी को रविवार पड़ने का यह अद्भुत संयोग 4 साल बाद बना है. इसके अलावा आज विशाखा नक्षत्र {15 अगस्त, रविवार} भी है. चूंकि रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है, ऐसे में आज सूर्य भगवान को जल चढ़ाने और उनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा करने का विशेष लाभ है. मान्यता है कि आज सूर्य देव की पूजा करने से सारी परेशानियां दूर होंगी. व्यक्ति के सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाएगा.
सूर्य का आरोग्य प्रदाता मंत्र
सूर्य देव के आरोग्य प्रदाता मंत्र का नियमित जाप करने से भक्त के सभी प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है अगर कोई व्यक्ति लम्बे समय से किसी असाध्य रोग से पीड़ित है तो उसे भगवान सूर्य के इस मंत्र का जाप करना चाहिए. वह रोग मुक्त हो जाएगा. इसके अलावा इस मंत्र के जाप से सभी ग्रह का दोष समाप्त हो जाता है.
ये है भगवान सूर्य का आरोग्य प्रदाता मंत्र
ऊँ नम: सूर्याय शान्ताय सर्वरोग निवारिणे।
आयु ररोग्य मैस्वैर्यं देहि देव: जगत्पते।।
मासिक दुर्गाष्टमी पूजा-विधि
सावन दुर्गाष्टमी के दिन प्रातः सूर्योदय के पहले स्नान आदि करके पूजा स्थल पर जाकर व्रत व पूजा का संकल्प लें. अब पूजा बेदी को गंगाजल छिडककर पवित्र करें. अब मां दुर्गा की प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करके गंगा जल से अभिषेक करें और दीप प्रज्वलित करें. मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प, प्रसाद के लिए फल और मिठाई अर्पित करें. दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें. पूजा समाप्त करने के बाद प्रसाद वितरण करें.
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