हनुमान पूजा: शनिवार के दिन बजरंगबली को करें प्रसन्न, दूर होंगे कष्ट
Hanuman Chalisa: पंचांग के अनुसार आज पंचमी की तिथि है. आज शनिवार का दिन है. शनिवार का दिन हनुमान जी का भी दिन माना जाता है. मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली हर प्रकार की कठिनाइयों से छुटकारा मिल जाता है.
Hanuman Puja: शनिवार का दिन हनुमान जी को प्रिय है. आज के दिन की हनुमान जी की पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होता है. शनिवार के दिन हनुमान जी पर चोला चढ़ाने और हनुमान चालीसा का पाठ करने से कठिन से कठिन संकट भी दूर हो जाता है. हनुमान चालीसा का पाठ मन को शांति प्रदान करता है. जिन लोगों के आत्मविश्वास में कमी आ रही है उन्हें आज के दिन हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए. क्योंकि हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के आत्म बल में भी वृद्धि होती है. माना जाता है कि हनुमान चालीसा की एक- एक चौपाई मंत्र के समान.
मानसिक तनाव दूर होता है आधुनिक जीवनशैली में व्यक्ति कई प्रकार के तनाव से जुझता रहता है. हनुमान चालीसा का पाठ मानसिक तनाव को भी दूर करता है. इसका पाठ करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है. इससे व्यक्ति की हर प्रकार की मानसिक दिक्कतें दूर होती है.
शनि और मंगल ग्रह की अशुभता दूर होती है शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान पूजा से शनि ग्रह की अशुभता दूर होती है. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या या फिर जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि अशुभ हैं उन्हें हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है. वहीं मंगल का भी दोष दूर होता है. हनुमान पूजा से भगवान राम का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है.
पूजा से मिलती है सकारात्मक ऊर्जा हनुमान जी की पूजा करने और हनुमान चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है. वहीं मन को शांति मिलती है.
हनुमान चालीसा
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥ राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥2॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा॥4॥ हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे॥5॥ शंकर स्वयं केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन॥6॥ विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥7॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया॥8॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे॥10॥ लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥11॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥12॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥13॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा॥14॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥15॥ तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा॥16॥ तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना॥17॥ जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥18॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥19॥ दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥ राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥ सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना॥22॥ आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै॥23॥ भूत पिशाच निकट नहि आवै महाबीर जब नाम सुनावै॥24॥ नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥ संकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥26॥ सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥ और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥ चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥ साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥ अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता॥31॥ राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥ तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥ अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥34॥ और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥ संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥ जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥ जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥ जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखी गौरीसा॥39॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥40॥