कौटिल्य...जो बेहद ही ज्ञानी और विद्वान पुरुष थे. अपने ज्ञान को उन्होंने केवल अपने तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि दुनिया के प्रत्येक मनुष्य तक उसे पहुंचाने की मंशा से चाणक्य नीति की रचना की. जिसमें जीवन के हर पहलू के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसी तरह उन्होंने धन संबंधी नीतियां भी बताई है. पैसा कमाने से लेकर पैसा खर्च करने तक के बारे में चाणक्य नीति में ज़िक्र है. बताया गया है कि सही मार्ग पर चलने से निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी धनवान बन सकता है. लेकिन कुछ बुरी आदतों को ना छोड़ा जाए तो सदैव आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. 


मूर्ख की तारीफ से अच्छी बुद्धिमान की डांट


चाणक्य की माने तो मूर्ख व्यक्ति की तारीफ सुनने से अच्छा है बुद्धिमान की डांट सुन ली जाए. क्योंकि आपका जो फायदा बुद्धिमान की डांट से होगा उतना किसी मूर्ख की डांट से नहीं होने वाला. चाणक्य नीति में कहा गया है कि जहां बुद्धि होती है वहीं पर मां लक्ष्मी का वास होता है. 


अत्यधिक क्रोध से होगा नुकसान


ज़रुरत से ज्यादा क्रोध केवल नुकसान का ही द्योतक है. क्योंकि जिस व्यक्ति को अत्यधिक क्रोध आता है उसके पास लक्ष्मी कभी ठहरती ही नहीं. इसीलिए चाणक्य नीति में बताया गया है कि चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो मनुष्य को सदैव शांत ही रहना चाहिए. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर वहीं ठहर जाती हैं. जबकि गुस्सा केवल नुकसान करता है. 


बड़ों का सम्मान


घर व समाज में बड़े बुजुर्गों का अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए. सिर्फ बड़े  बुजुर्ग ही नहीं बल्कि किसी भी व्यक्ति का दिल दुखाने से बचें. अन्यथा मनुष्य दरिद्रता का शिकार हो जाता है.


ईमानदारी का रास्ता चुनें


धूर्तता, चालाकी से कोई काम करने की चेष्टा ना करें. हमेशा कोशिश करें कि हर कार्य के लिए ईमानदारी का मार्ग ही चुनें. लालच बुरी बला है इसी मंत्र को जीवन में उतारें.  


सोच समझकर इस्तेमाल करें धन


धन का व्यय हमेशा बहुत ही सोच विचार कर किया जाना चाहिए. क्योंकि धन कमाना बहुत ही कठिन होता है. और जो चीज़ कठिनाई से मिले उसे बहुत ही सूझ बूझ के साथ व्यय करना चाहिए. बल्कि धन का व्यय ऐसी जगह करें जहां से उसका दुगना प्राप्त किया जा सके.