चाणक्य नीति जिसमें कई ऐसी बातें बताई गई हैं जिन्हें जीवन में अपना लिया जाए तो ना केवल तमाम परेशानियों और चिंताओं से मुक्ति पाई जा सकती  है बल्कि इन्हें आत्मसात कर व्यक्ति सफलता की नई ऊंचाइयों को छू सकता है. चाणक्य के ज्ञान और अनुभव से हम ना केवल खुद का बल्कि पूरे समाज का कल्याण कर सकते हैं.  चाणक्य के इस ग्रंथ में उन लोगों के बारे में भी बताया गया है जो चाह कर कितना ही जतन क्यों ना करें लें लेकिन अमीर नहीं बन सकते. चलिए बताते हैं आपको कि चाणक्य किस तरह के लोग आर्थिक उन्नति से वंचित रह जाते हैं. 


चाणक्य ने संस्कृत के एक श्लोक के माध्यम से भी उन लोगों के बारे में बताया है जिनका धनवान बनान नामुमकिन ही है. 


कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बह्वाशिनं निष्ठुरभाषिणं च।


सूर्योदये चास्तमिते शयानं विमुञ्चतिश्रीर्यदि चक्रपाणि:।।


अब आपको इसका मतलब हिंदी में बताते हैं. 




  1. चाणक्य का कहना है, जो लोग अपने आस-पास स्वच्छता न रखते हों, और सदैव गंदे व मैले वस्त्र ही धारण करते हों, ऐसे लोगों से लक्ष्मी दूर ही जाती है. और समाज में ऐसे लोगों का मान सम्मान भी काफी कम हो जाता है. 

  2. जो व्यक्ति अपने दांतो की साफ-सफाई नहीं रखता, लक्ष्मी ऐसे लोगों के पास भी नहीं फटकती. जिसके कारण व्यक्ति गरीब होता चला जाता है. 

  3. अगर चाहते हैं कि आप तरक्की करें तो आपको मीठी वाणी बोलनी चाहिए, लेकिन जो अपनी वाणी में संयम न रखते हुए कठोर वाणी बोलते हैं, उनसे भी लक्ष्मी रूठ जाती है. कभी भी किसी के साथ ऐसा मज़ाक ना करें जो दूसरे के दिल को ठेस पहुंचाएं. 

  4. ऐसे लोग जो ज़रुरत से ज्यादा भोजन करते हैं वे भी कभी धनवान नहीं बन पाते. क्योंकि माना जाता है कि ज़रुरत से ज्यादा भोजन का उपभोग करना व्यक्ति को गरीब बनाता है. साथ ही ऐसे व्यक्ति कभी स्वस्थ भी नहीं रह पाते.

  5. चाणक्य के अनुसार जो लोग सुबह से लेकर शाम तक सोए रहते हैं, उनसे भी मां लक्ष्मी रुष्ट रहती हैं. उन पर मां लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है। सूर्योदय के बाद किसी भी मनुष्य को नहीं सोना चाहिए. 

  6. चाणक्य ने कहा है कि जो लोग छल-कपट या बुरे कार्यों से पैसा कमाते हैं उनके पास भी ज्यादा देर तक लक्ष्मी नहीं टिकती. ऐसे लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है.