Janmastami 2021 : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभारंभ 29 अगस्त को रविवार रात 11 बजकर 25 मिनट से हो रहा है. तिथि का समापन 30 अगस्त दिन सोमवार को देर रात 01 बजकर 59 मिनट पर होगा. मान्यता है कि विष्णुजी ने पृथ्वी को पापियों से मुक्त करने के लिए श्रीकृष्ण के रूप में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में अवतार लिया था. हर साल भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. ऐसे में श्रीकृष्णजी को प्रसन्न करने के लिए राशि अनुसार मंत्र और जाप करना सार्थक माना गया है.


पूजा सामग्री
भगवान कृष्ण की पूजा सामग्री में एक खीरा, चौकी, पीला साफ कपड़ा, कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति, सिंहासन, पंचामृत, गंगाजल, दूध, दही, शहद, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, चंदन, अक्षत यानी साबुत चावल, तुलसी का पत्ता, माखन, मिश्री, भोग सामग्री जरूरी है. 


पूजा का विधान
- सुबह सूर्य को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर दिशा में मंुह कर बैठें. हाथ में जल, पुष्प और सुगंध लेकर संकल्प करें. 
- मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए प्रसूति-गृह का निर्माण करें. इसके बाद श्रीकृष्ण मूर्ति या चित्र स्थापित करें. 
- अब घर के मंदिर में कृष्ण जी या फिर ठाकुर जी की मूर्ति को पहले गंगा जल से स्नान कराएं. 
- मूर्ति को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और केसर के पंचामृत से स्नान कराएं। - अब शुद्ध जल से स्नान कराएं.
 - रात 12 बजे भोग लगाकर लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना करें और फिर आरती करें।


किस राशि के अनुसार मत्र
मेष : ओम कमलनाथाय नम:


वृष : श्रीकृष्णाष्टक का पाठ, सफेद फूल चढ़ाएं


मिथुन : ओम गोविंदाय नम:


कर्क : राधाष्टक का पाठ,सफेद फूल चढ़ाएं 


सिंह : ओम कोटि सूर्य संप्रयाय नम:


कन्या : ओम देवकीनंदनाय नम:


तुला : ओम लीलाधराय नम:


वृश्चिक : ओम बराहाय नम:


धनु और मीन : ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:


मकर और कुंभ : ओम नमो कृष्ण वल्लभाय नम


श्रीकृष्णजी के लिए इन चीजों का मिलेगा दोगुना लाभ


- गुलाब जल में इत्र डालकर, गुड़ समेत माखन भोग लगाने से सौभाग्य मिलता है.   


- हल्दी, केसर चढ़ाने से वैवाहिक और न्यायिक कार्य में सफलता मिलेगी. 


- गुड़ से बनी खीर, हलवा आदि चढ़ाने से स्वास्थ्य ठीक रहेगा


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