Adhik Maas 2023 Kab Se Shuru: हर तीन साल में आने वाला अधिकमास 18 जुलाई 2023 से शुरू हो रहा है, जो 16 अगस्त तक चलेगा. ये महीना भगवान विष्णु की प्रिय माह कहलाता है.  इस महीने में मांगलिक वर्जित हैं लेकिन पूजा-पाठ और भक्ति के नजरिए से अधिकमास बहुत ही पवित्र माना गया है.


इसे मलमास और पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. मान्यता है जो अधिकमास में विष्णु जी की भक्ति करता है उसे जीते जी कभी धन की कमी नहीं होती है, मृत्यु के बाद उसे स्वर्गलोक में स्थान मिलता है. आइए जानते हैं अधिकमास का महत्व, नियम.



अधिकमास महत्व (Adhik Maas Significance)


शास्त्रों के अनुसार मनुष्य का शरीर पंचतत्व जल, अग्नि, आकाश, वायु और पृथ्वी से मिलकर बना है. इन पांचों के संतुलन से ही व्यक्ति अपने जीवनकाल को सुचारू रूप से चला पाता है. धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि अधिकमास में पूजा पाठ, चिंतन- मनन, ध्यान करने से इन पांचों का सुंतलन बनता है, जिससे व्यक्ति भौतिक सुख और उन्नति प्राप्त होती है. अधिकमास में धार्मिक कार्य करने से व्यक्ति के कुंडली दोषों का भी निराकरण हो जाता है. यही वजह है कि हर तीन साल में आने वाले अधिकमास का विशेष महत्व है.


हर तीन साल में क्यों आता है अधिकमास ?


सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए हर तीन साल में अधिकमास आता है.भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में अतिरिक्त मास आता है, जिसे अधिकमास कहते हैं.


अधिकमास में क्या करें (Adhik Maas Do's)



  • शास्त्रों के अनुसार अधिकमास में विष्णु जी की पूजा, मंत्र, यज्ञ- हवन, श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, गीता पाठ, नृसिंह भगवान की कथा आदि का श्रवण करने से पापों का शमन होता है. 33 कोटि देवी-देवता प्रसन्न होते हैं.

  • अधिकमास के पूरे एक महीने  धन, अनाज, जूते-चप्पल, दीपदान, कपड़े, तांबूल का दान करें, साथ ही गायों की सेवा करें. इससे कुंडली मे ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं.

  • अधिकमास की अवधि में तीर्थ श्राद्ध, दर्श श्राद्ध, एवं नित्य श्राद्ध करना चाहिए. इससे पितरों की 7 पीढ़ियों की आत्मा की तृप्ति मिलती है.

  • अधिकमास में तीर्थ स्नान, मौन व्रत, ईष्ट देव के समक्ष अखंड दीप प्रज्वलित करने से मां लक्ष्मी का वास होता है.


अधिकमास में क्या न करें (Adhik Maas Dont's)



  • सूर्य हर महीने राशि बदलता है, लेकिन अधिक मास में सूर्य राशि नहीं बदलता है, इस वजह से इस महीने को शुभ नहीं माना गया है. इसे मलिन मास कहते हैं. विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार से जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.

  • मलमास में पत्तेदाल सब्जी, मसूर दाल, उड़द दाल, मूली, मेथी, लहसुन प्याद, तामसिक भोजन आदि चीजों का सेवन न करें. ब्रह्मचर्य का पालन करें. एक समय सोएं, जमीन पर सोना उत्तम होगा.

  • अधिकमास में क्रोध, अहंकार, लालच का त्याग करें. किसी के प्रति द्वेष न रखें, अपमान न करें. ऐसा न करने वालों को इस माह में किए गए धार्मिक कार्य का पुण्य नहीं मिलता.


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