Adhik Maas 2023, Vinayak Chaturthi: श्रीहरि का प्रिय महीना अधिकमास 18 जुलाई 2023 से शुरू हो रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. सावन में अधिकमास की चतुर्थी 19 साल बाद आई है. यही वजह है कि इस साल अधिकमास की विनायक चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है.


चतुर्थी तिथि के स्वामी गणपति जी है, वहीं अधिकमास विष्णु जी को समर्पित है, सावन शिव का प्रिय महीना है. ऐसे में सावन अधिकमास की चतुर्थी तिथि का व्रत करने वालों को इन तीनों देवताओं के आशीर्वाद असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. आइए जानते हैं अधिकमास विनायक चतुर्थी की डेट, मुहूर्त और महत्व.



अधिममास विनायक चतुर्थी 2023 डेट (Adhik Maas Vinayak Chaturthi 2023 Date)


सावन अधिकमास की विनायक चतुर्थी 21 जुलाई 2023 शुक्रवार को है. इस दिन गणपति की पूजा करने से बच्चों को करियर में उन्नति मिलती है, नौकरीपेशा और व्यापारियों के तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं. बिना किसी विघ्न के हर कार्य में सफलता मिलती है.


अधिकमास विनायक चतुर्थी 2023 मुहूर्त (Adhik Maas Vinayak Chaturthi 2023 Muhurat)


पंचांग के अनुसार अधिकमास की विनायक चतुर्थी तिथि 21 जुलाई 2023 को  सुबह 06 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और 22 जुलाई 2023 को सुबह 09 बजकर 26 मिनट पर इसका समापन होगा. विनायक चतुर्थी तिथि गणपति की जन्म तिथि है, विद्वानों के अनुसार श्री गणेश का जन्म मध्यकाल में हुआ था, इसलिए विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा दिन में की जाती है.



  • गणेश पूजा मुहूर्त - सुबह 11.05 - दोपहर 01.50


अधिकमास विनायक चतुर्थी महत्व (Adhik Maas Vinayak Chaturthi Significance)


अधिकमास हर 3 साल बाद आता है. यही वजह है कि इस माह के हर व्रत-त्योहार का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है. पुराणों के अनुसार अधिकमास की विनायक चतुर्थी पर गणपति जी की पूजा करने वालों को कभी धन की कमी नहीं रहती. संतान प्राप्ति के लिए ये व्रत उत्तम फलदायी माना गया है. विनायक चतुर्थी व्रत के प्रभाव से हर संकट और बाधा का नाश होता है.


अधिकमास विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Adhik Maas Vinayak Chaturthi Puja vidhi)


अधिकमास विनायक चतुर्थी पर दोपहर में पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान गणपति की पूजा अर्चना 108 दूर्वा की पत्तियों से करें. गाय के घी का दीपक जलाकर वक्रतुंडाय हुं मंत्र का 108 बार जाप करें. जाप के बाद पूजा के स्थान में रखे हुए जल का छिड़काव इन्हीं दूर्वा की पत्तियों से सारे घर में करें. मान्यता है इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में खुशहाली आती है.


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