Guru Purnima : आदिगुरु व्यास ने इन कारणों से वेदों को चार भागों में बांटा
महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों के रचनाकार महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, इसी कारण इस दिन को गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं.
Guru Purnima : पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास ऋषि पराशर के बेटे थे. शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे. उन्होंने दिव्य दृष्टि से जान लिया था कि कलियुग में लोग धर्म में रुचि नहीं लेंगे. मनुष्य ईश्वर में विश्वास न रखने वाला, कर्तव्य से विमुख और कम आयु वाला होगा. ऐसे में एक बड़े और सम्पूर्ण वेद का अध्ययन उसके बस की बात नहीं होगी. इसी सोच के साथ महर्षि व्यास ने वेद को चार भागों में बांट दिया, जिससे अल्प बुद्धि, अल्प स्मरण शक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन करके लाभ उठा सकें.
व्यास ने वेदों को अलग-अलग खण्डों में बांटकर इसे ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद नाम दिया. वेदों का विभाजन करने के कारण ही वे वेद व्यास कहे गए, पहले उनका नाम कृष्ण द्वैपायन था. उन्होंने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की जानकारी प्रिय शिष्यों वैशम्पायन, सुमन्तुमुनि, पैल और जैमिन को दिया. वेदों में मौजूद अत्यंत ज्ञान, रहस्यमयी और मुश्किल होने के कारण व्यास ने पुराणों की रचना पांचवे वेद के रूप में की. इसमें वेद का ज्ञान रोचक किस्से-कहानियों के रूप में समझाया गया है. उन्होंने शिष्य रोम हर्षण को पुराणों का ज्ञान दिया.
शिष्यों ने बुद्धि बल के अनुसार वेदों को शाखाओं और उप-शाखाओं में बांटा. महर्षि व्यास ने महाभारत भी रचा. आदि गुरु माने जाने के कारण गुरु पूर्णिमा का व्यास जयंती के रूप में भी मनाई जाती है, यह पर्व व्यास पूर्णिमा भी मानी जाती है.
पूजन मुहूर्त
- गुरु पूजा के लिए पूर्णिमा को सूर्योदय के बाद तीन मुहूर्त हैं.
- पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम हो तो यह पर्व पहले दिन मनेगा.
- इस दिन सुबह नित्यकर्म-स्नान कर उत्तम-शुद्ध वस्त्र धारण करें.
- फिर व्यास चित्र को फूल या माला चढ़ाकर गुरु के पास जाएं.
- उन्हें ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए.
- वस्त्र, फल, फूल और माला अर्पित कर दक्षिणा भेंट कर आशीर्वाद लें.
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