Aghan 2023: पंचांग का नवां महीना अगहन यानी मार्गशीर्ष 28 नवंबर से शुरु हो चुका है और 26 दिसंबर तक चलेगा. इस महीने में श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करना चाहिए. कार्तिक के बाद अगहन हिंदू धर्म का दूसरा पवित्र महीना है. श्रीमद्भागवत के मुताबिक ये श्रीकृष्ण का पसंदीदा महीना है. इस महीने भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा होती है. साथ ही इस महीने में तीर्थ स्नान करने से पुण्य मिलता है और हर तरह के रोग, शोक और दोष दूर होते हैं.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अगहन मास 28 नवंबर से 26 दिसंबर तक रहेगा. पुराणों के मुताबिक इस पवित्र महीने में ही शिव-पार्वती और राम-सीता का विवाह हुआ था. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान भी इसी महीने में दिया था. जानकारों का मानना है कि कश्यप ऋषि ने अगहन मास में ही कश्मीर बसाया था और वृंदावन के बांके बिहारी भी इस महीने प्रकट हुए थे. इस महीने में तीर्थ और पवित्र नदियों में नहाने की परंपरा है. साथ ही शंख और भगवान कृष्ण की पूजा भी होती है. इस महीने में कालभैरव अष्टमी, श्रीराम-जानकी विवाह, दत्तात्रेय प्राकट्य और गीता जयंती जैसे बड़े व्रत पर्व भी रहेंगे.
अगहन महीने का महत्व
हिंदू धर्म में अगहन मास का काफी महत्व होता है. अगहन मास हिंदू पंचांग का नौवां महीना है. इसे मार्गशीर्ष भी कहते हैं. इस महीने में शंख पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. ये महीना मांगलिक कार्यों और विवाह के हिसाब से काफी अच्छा होता है. अगहन मास में विवाह करना बहुत शुभ माना जाता है. इस महीने में भगवान श्रीराम का विवाह देवी सीता से हुआ था. कार्तिक माह में शरद ऋतु के खत्म होने के बाद हेमंत ऋतु शुरू हो जाती है. कार्तिक महीने के आगे आने वाले अगले महीने को अग्रहायन कहते हैं. ये महीना मार्गशीर्ष होता है. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को खुद के बारे में बताते हुए कहा था कि मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं. ये महीना मुझे बहुत प्रिय है.
इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है. हेमंत ऋतु और इस महीने की शुरुआत लगभग साथ ही होती है. इसे धरती पर सृजन का काल भी माना जाता है. इसी दौरान नई फसल भी आती है. कार्तिक महीने में भगवान विष्णु के जागने के बाद इसी महीने में शादियां और अन्य मांगलिक काम होते हैं. इसी वजह से ये महीना शुभ और बहुत खास माना जाता है.
अगहन को कहते हैं मार्गशीर्ष मास
अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे कई वजह हैं. इनमें पहली भगवान कृष्ण से जुड़ी है. श्रीकृष्ण की पूजा कई नामों से होती है. इन्हीं में एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही नाम है. इस महीने को मगसर, अगहन या अग्रहायण भी कहा जाता है. श्रीमद्भागवत के अनुसार, श्रीकृष्ण ने कहा है मासानां मार्गशीर्षोऽहम् अर्थात् सभी महीनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है. मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
मार्गशीर्ष मास: इस महीने का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है. ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं. इन्हीं 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र. इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है. इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा गया है.
मार्गशीर्ष से ही नया साल शुरू किया: सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारम्भ किया था. तब खगोलीय स्थिति अनुकूल होती थीं. मार्गशीर्ष महीने में ही कश्यप ऋषि ने सुन्दर कश्मीर प्रदेश की रचना की थी. इसलिए आज भी इस पूरे महीने भजन-कीर्तन चलता रहता है. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं.
चंद्रमा दोष से पा सकते हैं छुटकारा: शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि अगर किसी की कुंडली में चंद्र दोष है, तो चंद्रमा संबंधी कुछ उपाय करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं या फिर दोष को कम कर सकते हैं.
शंख की पूजा करना शुभ: इस माह में शंख की पूजा करना शुभ माना जाता है. क्योंकि शंख में मां लक्ष्मी का वास होता है और भगवान विष्णु इसे धारण करते हैं.
भगवान श्री राम का विवाह: धर्म ग्रंथों के अनुसार अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि त्रेता युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. इस महीने मोक्षदा एकादशी का व्रत भी किया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इस कारण से इस महीने का विशेष महत्व है.
तीर्थ स्नान से मिलते हैं सुख: पुराणों के मुताबिक इस महीने कम से कम तीन दिन तक ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं. नहाने के बाद इष्ट देवताओं का ध्यान करना चाहिए. फिर विधिपूर्वक गायत्री मंत्र का जाप करें. स्त्रियों के लिए यह स्नान उनके पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देने वाला है. इस महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है. साधारण शंख को श्रीकृष्ण को पाञ्चजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं. अगहन मास में भगवान गणेश की पूजा का भी महत्व बताया गया है.
कर सकते हैं ये शुभ काम: कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। आप ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय, ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय या ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. कर्पूर जलाकर आरती करें और इसके बाद परिक्रमा करें. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. बिल्व पत्र, हार-फूल से श्रृंगार करें. चंदन का लेप करें. धूप-दीप जलाकर आरती करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें. जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़ों का दान करें. किसी गोशाला में गायों को घास खिलाएं. गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें.
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