Ahoi Ashtami 2021 Moonrise Time: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की बड़ी अष्टमी (Kartik Month Ashtami) को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2021) के नाम से जाना जाता है. कहते हैं इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, जीवन में खुशहाली और धन-धान्य में बढ़ोतरी के लिए व्रत रखती हैं. पूरा दिन निर्जला और निराहार रहकर व्रत रखती हैं और शाम के समय तारों के दर्शन के बाद व्रत पारण (Ahoi Vrat Paran) किया जाता है. तारों के दर्शन के बाद उनकी पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य देकर व्रत पारण किया जाता है. इस दिन संतान प्राप्ति या फिर गर्भ में ही मर रही संतान की लंबी आयु के लिए भी व्रत रखा जाता है. इस दिन माता पर्वती (Maa Parvati Puja) के अहोई रूप और गणेश जी की पूजा (Ganesh Ji Puja) का विधान है. इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है. इस दिन शाम के समय कुछ महिलाएं तारों के देखकर व्रत पारण करती हैं,तो कुछ अपनी मान्यताओं के अनुसार चांद के दर्शन (Moonrise) कर व्रत का पारण करती हैं. 


अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त  (Ahoi Ashtami Shubh Muhurat 2021)


पूजा का शुभ मुहूर्त-  शाम 5 बजकर 39  मिनट से 6 बजकर 56 मिनट



अहोई अष्टमी चंद्रोदय और तारोदय समय (Ahoi Ashtami Moonrise Time and Star Shine Time 2021)


तारों को देखने के लिए शाम का समय- शाम 6 बजकर 3 मिनट
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय- शाम 11 बजकर 29 मिनट


अहोई अष्टमी व्रत का महत्व (Ahoi Ashtami Vrat Importance)


हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत भी अन्य व्रतों की तरह अत्यंत महत्वपूर्ण है. संतान की भलाई के लिए व्रत रखा जाता है. कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत बहुत कठिन होता है. भाग्यशाली लोगों को ही संतान का सुख प्राप्त होता है, ऐसे में माता से अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कर विधि विधान से अहोई माता की पूजा करने से मां पार्वती अपने पुत्रों की तरह ही आपके बच्चों की रक्षा करती हैं. साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए भी यह व्रत खास महत्व रखता है. 


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