Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्टमी व्रत पर जानें क्या है तारों को अर्घ्य देने की परंपरा
Ahoi Ashtami 2023: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी एक मात्र ऐसा पर्व है, जिसमें तारों को अर्घ्य देने की परंपरा है.
Ahoi Ashtami 2023: पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी और करवा चौथ के तीन दिन बाद अहोई अष्टमी मनाई जाती है. इस साल अहोई अष्टमी रविवार, 5 नवंबर 2023 को है. इस व्रत को माता संतान की दीर्घायु, सेहत और सौभाग्य के लिए रखती हैं.
हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है. अहोई अष्टमी में माताएं व्रत रखकर अहोई माता की पूजा करती हैं. इसके बाद तारों को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं. हिंदू धर्म में ऐसे कई पर्व त्योहार हैं, जिसमें सूर्य और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, अहोई अष्टमी एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें तारों को अर्घ्य देने की परंपरा है. जानते हैं आखिर क्या है इस परंपरा का महत्व और क्यों इस दिन तारों को दिया जाता है अर्घ्य.
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2023 Puja Muhurat)
आज 5 नवंबर 2023 को अष्टमी तिथि दोपहर 12:59 से शुरू हो जाएगी, जिसका समापन अगले दिन सुबह 03:18 पर होगा. इस पर्व में तारों को देखने और अर्घ्य देने की परंपरा है. इसलिए 5 नवंबर को अहोई अष्टमी का व्रत, पूजन और पारण करना मान्य होगा. आज तारोदय के लिए समय शाम 06 बजर 36 मिनट पर होगा. वहीं चंद्रोदय रात 08 बजकर 34 मिनट पर होगा.
अहोई अष्टमी पर तारों को अर्घ्य देने की परंपरा
आसमान में असंख्य तारे होते हैं. मान्यता है कि, अहोई अष्टमी पर माताएं इन्हीं असंख्य या अनगिनत तारों की पूजा करती है, जिससे कि उसके कुल में भी अनगिनत संतान हों. पूजा करते हुए माताएं यह प्रार्थना भी करती हैं कि, जिस तरह से आसमान ये तारे सदा चमकते रहते हैं, ठीक इसी तरह से हमारे कुल की संतानों का भाग्य भी ऐसे ही चमकता रहे और वे अपने कुल का नाम रोशन करें.
इस दिन तारों को अर्घ्य देने के पीछे धार्मिक मान्यता भी है. इसके अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि आसमान के सभी तारे अहोई माता की संतान हैं. इसीलिए जब तक तारों को अर्घ्य नहीं दिया जाता, अहोई अष्टमी का व्रत पूरा नहीं माना जाता है़ .
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