ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने मुसलमानों के लिए एक नया 'निकाहनामा' जारी किया है, जिसमें शादियों के दौरान दहेज और फालतू खर्च पर प्रतिबंध लगाया गया है. मौलाना अरशद मदनी, मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी, मौलाना फखरुद्दीन जिलानी, मौलाना फखरुद्दीन जिलानी, मौलाना सैयद, मौलाना सैयद राबे हसन नदवी और महासचिव मौलाना वली रहमानी द्वारा 11 सूत्रीय नया निकाहनामा जारी किया गया है.
मौलाना राबे हसन ने मुस्लिम समुदाय के सभी सदस्यों से 'निकाह' के दौरान दहेज और फिजूल खर्ची की सामाजिक बुराई से दूर रहने की अपील की है. उन्होंने मुसलमानों से इस्लामिक परंपराओं के अनुसार मस्जिदों में निकाह करने का आग्रह किया, बजाय मैरिज हॉल में मेगा फंक्शन आयोजित करने के. बोर्ड ने पहले से ही सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए देश भर में समुदाय के सदस्यों को शिक्षित करने के लिए दस दिवसीय अभियान शुरू किया है. अभियान के दौरान, सभी मुस्लिम मौलवी दहेज और फिजूलखर्ची दूर करने के लिए इस्लामिक परंपराओं के अनुसार निकम्मा बनाने पर जोर देंगे.
नया निकाहनामा पूरी तरह से दहेज, 'मांझा' (हल्दी समारोह) और अन्य गैर-इस्लामिक परंपराओं जैसे शादी बारात, आतिशबाजी, डीजे, नृत्य, आदि पर प्रतिबंध लगाता है. यद्यपि यह 'दावत-ए-वलीमा' की अनुमति देता है, लेकिन इसने शादी समारोह के बाद एक बड़ी दावत को रोक दिया है.
निकाह के बाद दावत-ए-वलीमा केवल परिवार के सदस्यों, बाहर से आने वाले मेहमानों और समुदाय के गरीब और भूखे सदस्यों को परोसा जाएगा. शरिया केवल सरल निकाह और दावत-ए-वलीमा की अनुमति देता है जिसमें समुदाय के गरीब और भूखे लोगों को भी निमंत्रण दिया जाता है.
नया निकाहनामा, निकाह को पूरी तरह से निर्धारित करने के लिए निर्धारित समय पर जोर देता है. निकाह के बाद, दूल्हे से उम्मीद की जाती है कि वह सुन्नत के अनुसार अपनी पत्नी का व्यवहार करे और उसकी देखभाल करे. AIMPLB द्वारा नया निकाहनामा दहेज उत्पीड़न को लेकर गुजरात की एक मुस्लिम लड़की आयशा द्वारा आत्महत्या के बाद आया, जिसने सामाजिक कुरीतियों को लेकर मुस्लिम मौलवियों के बीच देशव्यापी बहस छेड़ दी.