Aja Ekadashi 2021: जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति के लिए करें अजा एकादशी व्रत, जानें मुहूर्त व व्रत कथा
Aja Ekadashi 2021 date: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहते हैं. अजा एकादशी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा. मान्यता है कि इस व्रत से जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है.
Aja Ekadashi 2021 Vrat Katha: हिंदी पंचांग के अनुसार, इस साल में कुल 25 एकादशी पड़ रही हैं. वैसे तो हर माह दो एकादशी होती हैं. एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी. भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी (Aja Ekadashi) और शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं.
अजा का शाब्दिक अर्थ होता है जिसका जन्म न हो. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रता रखकर भगवान विष्णु के श्रीहरि रूप की पूजा करने से अतीत में किए गए सभी पापों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है. इसी संदर्भ में भगवान श्री कृष्ण ने ब्रह्मवैवर्त पुराण में अजा एकादशी की महिमा का वर्णन युधिष्ठिर से किया था. जिसका तात्पर्य यह बताना था कि इस व्रत के प्रभाव से कर्मों के प्रभाव और जन्म-मरण के दुष्चक्र से मुक्ति मिल जाती है.
अजा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त
- अजा एकादशी तिथि प्रारंभ – 02 सितम्बर 2021 को सुबह 06:21 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त – 03 सितम्बर 2021 को सुबह 07:44 बजे
- अजा एकादशी व्रत पारण – 04 सितंबर 2021 दिन शनिवार को सुबह 05:30 बजे से सुबह 08:23 मिनट तक.
व्रत कथा
प्राचीनकाल में चक्रवर्ती राजा हरिशचंद्र ने परिस्थिति जन्य कारणों के चलते अपना सारा राज्य व धन त्याग करते हुए स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया. राजा हरिशचंद्र डोम का दास बनकर सत्य को अंगीकृत करते हुए मृतकों का वस्त्र धारण करता और उनसे कर वसूलता रहा. मगर कोई भी स्थिति उसे सत्य से विचलित नहीं कर पाई.
कई वर्ष बीत जाने के बाद एक दिन राजा चिंतित बैठे हुए थे. तभी गौतम ऋषि आ गए. राजा ने उन्हें प्रणाम किया और अपनी सारी दुखभरी कहानी सुनाई. गौतम ऋषि ने अजा एकादशी का व्रत रखने की बात कही. राजा ने ऋषि के बताये के अनुसार पूर्ण निष्ठा और विधिपूर्वक व्रत रखा. उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए. उन्हें उनका राज्य पुनः मिल गया और अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को गए.