Aja Ekadashi 2021 Rule: हिंदू धर्म में अजा एकादशी व्रत के महत्व का वर्णन हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुतायत से मिलता है. प्रमुख रूप से यह अजा एकादशी व्रत भगवान श्रीहरि को समर्पित है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, अजा एकादशी व्रत के दिन भगवान श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन श्रीहरि की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है.


धर्मिक मान्यता है कि अजा एकादशी व्रत रखने और पूजन करने से भक्तों के सभी पापों का नाश हो जाता है और सभी सुखों को भोगकर अंत में विष्णु लोक को प्राप्त होते है. इस एकादशी व्रत से कई अश्वमेघ यज्ञों के बराबर लाभ प्राप्त होता है. बशर्ते अजा एकादशी व्रत में इन नियमों का पालन करते हुए विधि पूर्वक पूजा करें.



अजा एकादशी व्रत के नियम



  • अजा एकादशी व्रत रखने के पहले की रात के भोजन के समय चावल न ग्रहण करें, व्रत रखने के पहले सूर्यास्त के पूर्व भोजन कर लें उसके बाद कुछ भी खाद्य पदार्थ ग्रहण न करें.

  • व्रत के दिन सूर्योदय के पूर्व स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें.

  • पूरे दिन व्रत रखते हुए भगवान विष्णु का ध्यान और छंटन करें.

  • घर-परिवार, पास पड़ोस में किसी भी तरह के वाद विवाद से बचें और किसी को कटु बचन न बोलें.

  • व्रत वाली रात में जागरण करते हुए भगवान विष्णु का भजन और कीर्तन एवं उनके मंत्रों का जाप करें.

  • व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में ही करें. बोजन करने से पहले किस भी गरीब और जरूरत मंद ब्राहमण को भोजन कराएं और दान दक्षिणा देकर बिदा करें.

  • इस दिन भी चावल न ग्रहण करें.


अजा एकादशी व्रत पूजा- विधि


आज सुबह सूर्योदय के पहले स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. उसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व तुलसी दल अर्पित कर भोग लगाएं. अब भगवान विष्णु के मंत्रों का जप और आरती करें. इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करना अति उत्तम होता है.