Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi: बादशाह अकबर के साले को बीरबल के खूब जलन रहती थी. इसका कारण यह था कि, बीरबल बुद्धिमान और चतुर थे. वह किसी भी समस्या का चुटकी में हल निकाल लेते थे और इसी कारण अकबर भी हर जरूरी फैसले पर उसकी सलाह लेते थे.


लेकिन अकबर का साला बीरबल की जगह लेना चाहता था. वह बीरबल की तरह की अकबर के दरबार का वजीर बनना चाहता था. अकबर को भी इस बात की जानकारी थी कि, उसके साले में कोई गुण नहीं है और बुद्धि व चतुराई के मामले में बीरबल से उससे कोई तुलना नहीं. लेकिन बेगम का भाई होने के कारण अकबर उसे कुछ कह नहीं पाते थे.



अकबर बीरबल के किस्से: अकबर का साला


एक दिन अकबर ने अपने साले को एक कोयले से भरी बोरी दी और कहा कि, जाओ इसे हमारे राज्य के सबसे मक्कार और लालची सेठ दमड़ीलाल को बेचकर दिखाओ. अगर तुम यह काम कर देते हो तो मैं तुम्हें बीरबल की जगह दरबार का वजीर बना दूंगा. हालांकि इस अजीब शर्त को सुनकर साले साहब बहुत हैरान हुए. क्योंकि उसे पता था कि वह कंजूस सेठ के पास से एक रुपये भी निकाल पाना मुश्किल है.


लेकिन फिर भी वह कोयले की बोरी ले कर चला गया. इसके बाद हुआ वही जो होना था. सेठ दमड़ीलाल ने कोयले की बोरी भी रख ली और बदले में एक ढेला भी नहीं दिया. इसके बाद साले साहब मुंह लटकाकर वापस दरबार आ गए और अकबर के सामने अपनी हार स्वीकार कर ली.


इसके बाद अकबर ने वही काम बीरबल को दिया. बीरबल ने कहा, सेठ दमड़ीलाल जैसे मक्कार और लालची को मैं पूरी कोयले की बोरी नहीं बल्कि कोयले का सिर्फ एक टुकड़ा देकर ही दस हजार रूपये में ले आऊंगा. यह कहकर बीरबल कोयले का एक टुकड़ा लेकर वहां से रवाना हो गए.


जब बीरबल ने एक कोयले के टुकड़े से कमाए 10 हजार


सबसे पहले बीरबल ने एक दरजी के पास से मखमली कुर्ता सिलवाया और गले में हीरे-मोतियों की मालाएं पहन ली. महंगी जूती पहनकर बीरबल ने कोयले के टुकड़े को बारीक सुरमे की तरह पिसवाया. पिसे हुए कोयले को एक सुरमे की छोटी चमकदार डिब्बी में भर लिया. बीरबल ने अपना भेष बदल लिया और एक मेहमानघर में रुककर राज्य में यह इश्तिहार दे दिया कि, बगदाद से एक बड़े शेख आए हैं, जोकि जादुई सुरमा बेचते हैं. इस सुरमे को आंखों में लगाने से मरे हुए पूर्वज दिखाई देते हैं. यदि पूर्वजों ने कहीं धन या आभूषण गाड़ा है तो उसका पता भी बताते हैं.


10 हजार में तय हुए कोयले के टुकड़े की कीमत


यह बात पूरे राज्य में आग की तरह फैल गई और इस बात का पता सेठ दमड़ीलाल को भी चला. सेठ दमड़ीदाल लालची तो था ही. उसने सोचा कि, उसके पूर्वजों ने कहीं न कहीं धन या जेवरात जरूर गाड़कर रखे होंगे. इसलिए वह तुरंत भेष बदले हुए बीरबल के पास पहुंच गए और सुरमे की डिब्बी खरीदनी चाही. इसके बाद बीरबल ने सुरमी की कीमल 10 हजार बताई और सेठ दमड़ीलाल भी 10 हजार में मान गया. इस तरह से एक कोयले के टुकड़े की कीमत 10 हजार में तय हो गई.


लेकिन सेठ दमड़ीलाल ऐसे ही किसी चीज पर पैसे नहीं देता था बल्कि वह बहुत होशियार भी था. उसने कहा, पहले मैं अभी ये सुरमा लगाऊंगा. अगर मुझे मेरे पूर्वज नहीं दिखे तो मैं पैसे वापस ले लूंगा. बीरबल ने कहा, जी हुजूर, आप ऐसा कर सकते हैं. चलिए शहर के चौराहे पर चलिए और वहां इस करिश्माई सुरमे को जांच लीजिये. इस तरह से चौराहे में सुरमे के चमत्कार को देखने के लिए भीड़ इकठ्ठा हो गयी.

बीरबल ने ऐलान किया कि, ये सेठ अभी तुरंत ये करिश्माई सुरमा अपने आंखों में लगाएंगे और अगर ये उन्हीं की औलाद होंगे जिन्हें ये अपना मां-बाप समझते हैं तो इन्हें इनके पूर्वज दिखाई देंगे और गड़े हुए धन के बारे में बताएंगे. लेकिन अगर आपके मां-बाप में से किसी ने भी बेईमानी की होगी और आप उनकी असल औलाद नहीं होंगे तो आपको कुछ भी नहीं दिखेगा और ऐसा कहते ही बीरबल ने सेठ की आंखों में सुरमा लगा दिया।

इस तरह से सेठ असमंजस में पड़ गया. उसने सुरमा लगाया और अपनी आंखें खोली. दिखना तो वैसे भी कुछ नहीं था. लेकिन सेठ बेचारा करता भी तो क्या करता. उनसे अपनी इज्जत बचाने के लिए बीरबल को दस हजार रुपये दे दिये और आग-बबूला होकर वहां से चला गया.


अकबर के साले ने मान ली हार


एक कोयले के टुकड़े से कमाए 10 हजार रुपये लेकर बीरबल तुरंत अकबर के पास पहुंचा और रुपये थमाते हुए सारी कहानी सुनाई. पास में बैठे अकबर के साले का मुंह लटक गया और वह बिना कुछ कहे घर लौट गया. इस किस्से के बाद बीरबल के साले ने पूरी तरह के अपनी हाल मान ली और कभी बीरबल का स्थान नहीं मांगा.


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