Akbar Birbal Ke Kisse: बीरबल ने इस तरकीब से साबित किया कि, दुनिया में देखने वालों से ज्यादा है अंधों की संख्या
Akbar Birbal Ke Kisse: अकबर और बीरबल के किस्से खूब प्रसिद्ध हैं. अबकब मुगल शासक थे और बीरबल उनके मुख्य सलाहकार होने के साथ अच्छे दोस्त भी थे. बीरबल को अकबर के नवरत्नों में एक माना जाता था.
Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi: मुगल शासक जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर और उनके मुख्य सलाहकार बीरबर (महेश दास) की कहानियां खूब प्रसिद्ध है. हम सभी बचपन से ही अकबर और बीरबल की कहानियां और किस्से सुनते आए हैं. अकबर-बीरबल के मजेदार वार्तालाप, खट्टी-मीठी नोंक-झोंक और घटनाओं को किस्से-कहानियों से रूप में पिरोकर सालों-साल सुनाया जाता रहा है.
पीढ़ी दर पीढ़ी अकबर बीरबल की कहानियां और किस्से विकसित होती रही है. आज अकबर-बीरबल के किस्से में आपको बताएंगे एक ऐसी कहानी के बारे में जिसमें बीरबल यह साबित कर देते हैं कि, दुनिया में देखने वालों से अधिक संख्या अंधों की है.
अकबर-बीरबल के किस्स: अंधे या देखने वाले अधिक
एक बार किसी बात को लेकर अकबर और बीरबल चर्चा कर रहे थे. तभी अकबर बीरबल से बोले कि, दुनिया में हर सौ में एक व्यक्ति अंधा है. लेकिन बीरबल ने अकबर की बात पर असहमति जताई और कहा कि, जाहंपनाह मेरे हिसाब से आपका आकलन कुछ गलत लग रहा है. क्योंकि सही मायने में दुनिया में अंधों की संख्या देखने वालों से काफी अधिक है.
बीरबल का जवाब सुनकर अकबर को हैरानी हुई. उन्होंने कहा, नहीं बीरबल तुम गलत कह रहे हो, क्योंकि जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो हमें अंधों से ज्यादा देखने वाले लोग ही दिखाई पड़ते हैं. ऐसे में देखने वालों की संख्या अंधों से अधिक मालूम पड़ती है.
अकबर की बात सुनकर बीरबल ने कहा, जाहंपनाह मैं आपको किसी दिन इस बात को साबित करके दिखाऊंगा कि, दुनिया में देखने वालों से अधिक अंधों की संख्या है. बीरबल की बात सुनकर अकबर ने कहा, ठीक है जिस दिन तुम सबूत के साथ इस बात को साबित कर दोगे, उस दिन मैं भी यह मान लूंगा. इसके बाद यह चर्चा समाप्त हो जाती है.
इस तरह से करीब दो दिन बीत जाते हैं और अकबर इस चर्चा को पूरी तरह से भूल जाते हैं. लेकिन इधर बीरबल अपनी बात को सही साबित करने के लिए तरकीब ढूंढने में लगे रहते हैं और इसी तरह से करीब चार दिन बीत जाते हैं. इस बीच बीरबल को एक तरकीब सूझती है और वो दो मुनीम के साथ बाजार जाते हैं.
इस तरकीब से बीरबल ने बनाई अंधे और देखने वालों की सूची
इसके बाद बीरबल कुछ सिपाहियों को एक चारपाई की चौखट और उसे बुनने के लिए रस्सी लाने को कहते हैं. इसके बाद बीरबल अपने दोनों मुनीमों से कहते हैं कि, आप दोनों में एक मेरे दाएं और एक बाएं तरफ बैठ जाएं. दाएं बैठ हुए मुनीम को वो आदेश देते हैं कि आप राज्य में मौजूद अंधों की सूची तैयार करेंगे और बाएं मुनीम से कहते हैं कि आप देखने वालों की सूची तैयार करेंगे.
बीरबल का आदेश मिलते ही दोनों मुनीम अपने काम पर लग जाते हैं और इधर बीरबल चारपाई बुनने का काम भी शुरू कर देते हैं. इस तरह से बीरबल को बीच बाजार में चारपाई बुनते हुए देख धीरे-धीरे लोगों की भीड़ जमा होने लगती है. भीड़ में से एक आदमी बीरबल से कहता है, आप ये क्या कर रहे हैं?
लेकिन बीरबल सवाल का कोई जवाब नहीं देते और अपने दाएं बैठे मुनीम को इशारा करते हैं कि इस आदमी का नाम वो अंधे की सूची में लिख लें. इस तरह से जैसे-जैसे समय बीतता जाता है लोगों की संख्या भी बढ़ती जाती है. बाजार में आने वाले सभी लोग बीरबल को देख अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए उससे यही सवाल पूछते हैं कि, आप ये क्या कर रहे हैं. इसी के साथ बीरबल अपने दाएं मुनीम को भी इशारा देकर ऐसा सवाल पूछने वालों का नाम अंधों की सूची में लिखवा देते हैं.
इसके बाद एक आदमी आता है और बीरबल से पूछता है कि, आप इतनी धूप में बीच बाजार में चारपाई क्यों बन रहे हैं? अब बीरबल बाएं ओर बैठे मुनीम को ऐसा सवाल पूछने वाले का नाम देखने वाले की सूची में लिखने का इशारा करते हैं. बीरबल के इस तरह के बाजार मे चारपाई बुनने की खबर अकबर को भी लग जाती है और अकबर भी बाजार पहुंचते हैं. अकबर भी बीरबल से ही सवाल करते हैं कि, बीरबल यह तुम ये क्या कर रहे हो?
अकबर का सवाल सुनते ही बीरबल अपने दाएं ओर बैठे मुनीम से कहते हैं कि जाहंपनाह अकबर का नाम अंधों की सूची में लिख दें. बीरबल की बात सुनकर अकबर को गुस्सा आ जाता है और वे कहते हैं कि, बीरबल मैं अंधा नहीं हूं. मेरी आंखे बिल्कुल ठीक है और मैं सब कुछ देख सकता हूं. फिर तुम मेरा नाम अंधों की सूची में क्यों लिखवा रहे हो. इसके बाद बीरबल कहते हैं कि, जाहंपनाह अगर आप देख रहे हैं कि, मैं चारपाई बन रहा हूं तो फिर भी आपने ऐसा सवाल क्यों किया कि मैं क्या कर रहा हूं. ऐसा सवाल तो केवल एक अंधा आदमी ही पूछ सकता है.
अकबर ने कहा, बीरबल तुम कुछ भी कर सकते हो
बीरबल की बात सुनकर अकबर को याद आ जाता है कि वे कुछ दिन पहले हुई चर्चा को सच साबित करने के लिए ये सब कर रहे हैं. इतने में अकबर मुस्कुराने लगते हैं और बीरबल से कहते हैं कि, तो फिर बताओं कि, देखने वालों की संख्या अधिक है या अंधों की? बीरबल कहते हैं, जाहंपनाह मैंने तो पहले ही कहा था कि, दुनिया में देखने वालों से अधिक अंधों की संख्या है और मैंने जो सूची तैयार करवाई है उसमें भी यही बाच सच साबित होती है. बीरबल की बात सुनकर अकबर हंसने लगते हैं और कहते हैं कि बीरबल तुम अपनी बात को सच साबित करने के लिए कुछ भी कर सकते हो.
सीख: अकबर-बीरबल की इस कहानी से यह सीख मिलती है कि, कई बार हम भी ऐसे मूर्खतापूर्ण सवाल पूछकर अंधे बन जाते हैं. मूर्खतापूर्ण सवाल पूछने वाला व्यक्ति भले ही अंधा न हो लेकिन वह अंधे के समान ही होता है.
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