Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi: आपने अकबर और बीरबल की कई किस्से कहानियां सुनी होंगी. अकबर मुगल बादशाहों में सबसे लोकप्रिय और शक्तिशाली सम्राट थे. वहीं बीरबल अकबर के दरबार के नवरत्नों में एक थे.


आज अकबर-बीरबल के किस्से में आपको बताएंगे एक ऐसी कहानी के बारे में, जिसमें एक बार फिर से बीरबल ने अपनी चतुराई दिखाकर सभी को हैरान कर डाला और बादशाह अकबर ने हर बार की तरह इस बार भी बीरबल की खूब तारीफ की.



अकबर बीरबल के किस्से: तीन रुपये,तीन चीजें


बादशाह अकबर का मंत्री बहुत उदास बैठा हुआ था. अपने मंत्री को उदास देख अकबर ने इसका कारण पूछा. मंत्री ने अकबर से कहा, जाहंपनाह! आप अपने सभी महत्वपूर्ण काम सिर्फ बीरबल को सौंपकर उसे ही महत्ता देते हैं. ऐसे में हमें अपनी प्रतिभा साबित करने का मौका ही नहीं मिलता. मंत्री की इस बात को सुनकर अकबर ने उसे तीन रूपये देते हुए कहा कि, बाजार जाकर इन 3 रुपयों से तीन चीजों की खरीदारी करना और बराबर-बराबर खर्च करना. यानी हर एक चीज पर 1 रुपए की होनी चाहिए. साथ ही अकबर ने मंत्री के सामने एक शर्त भी रखी.


अकबर ने रखी शर्त


अकबर ने कहा, तुम जो पहली चीज खरीदो वो यहां की होनी चाहिए. दूसरी चीज वहां की होनी चाहिए और तीसरी चीज की खरीदारी ना यहां की होनी चाहिए और ना वहां की होनी चाहिए. इसके बाद अकबर से पैसे लेकर मंत्री बाजार की ओर निकल पड़ा. लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि, वो क्या और कैसे खरीदे. वह पूरे बाजार में केवल एक दुकान से दूसरे दुकान के चक्कर लगाते ही रह गया और आखिरकार बिना कुछ खरीदे दरबार लौट आया. मंत्री ने अकबर के सामने हार स्वीकार की.


बीरबल ने दिखाई बुद्धिमानी


इसके बाद अकबर ने यही काम बीरबल को सौंपा और वही शर्त रखी. बीरबल ने एक घंटे में इस चुनौती को पूरा करने की बात कही और पैसे लेकर बाजार चला गया. एक घंटे बाद बीरबल दरबार पहुंच गया. जब अकबर ने उससे पूछा कि, तुमने किन-किन वस्तुओं पर पैसे खर्च किए विस्तार से बताओ.


बीरबल ने 3 चीजों में खर्च किए 3 रुपए 


बीरबल ने कहा, मैने पहले एक रुपए की मिठाई खरीदी जो यहां यानी इस दुनिया की चीज है. दूसरा एक रुपया मैंने एक गरीब को दान कर दिया, जिससे मुझे पुण्य मिला जो वहां यानी ज़न्नत की चीज है और तीसरे एक रुपए से मैंने जुवा खेला और हार गया. इस तरह जुए में हारा रुपया वो तीसरी चीज थी जो ना यहां मेरे काम आई न वहां यानी जन्नत में मुझे नसीब होगी.

बीरबल की बुद्धिमानी और चतुराई देखर अकबर के साथ ही दरबार के सभी मंत्री भी दंग रह गए और सभी ने बीरबल की बुद्धि का लोहा मान लिया.


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