Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi: हम सभी बचपन से ही अकबर और बीरबल के किस्से-कहानियां सुनते आए हैं. हालांकि इन कहानियों में कितनी सच्चाई है और कितनी मन गढंत यह कहना मुश्किल है. लेकिन इन कहानियों से बीरबल की चतुराई, बुद्धि और हाजिर-जवाबी का पता चलता है.


अकबर बीरबल के किस्से में आज आपको बताएंगे एक ऐसी कहानी के बारे में जिसमें अकबर की चतुराई काम आती है. जी हां, अब तक तो आपके बीरबल की चतुराई और बुद्धि की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन इस कहानी में आपको अकबर की चतुराई के बारे में पता चलेगा, जिससे वो अपने प्रिय बीरबल को ढ़ूंढ निकालने में सफल होते हैं. इस कहानी का नाम है ‘बुद्धि से भरा बर्तन’.


अकबर बीरबल के किस्से: बुद्धि से भरा बर्तन


एक बार किसी बात को लेकर अकबर और बीरबल के बीच मनमुटाव हो गया. अकबर ने गुस्से में आकर बीरबल को राज्य से दूर चले जाने का आदेश सुना दिया. बीरबल भी अकबर के आदेश को टाल नहीं सकता था लेकिन वह अकबर से दूर भी नहीं रह सकता था. इसलिए वह उसी राज्य में एक अन्य गांव में वेश बदलकर रहने लगा और साधारण लोगों की तरह खेती करनी शुरू कर दी. इस तरह से बीरबल किसान की तरह अपना जीवन बिताने लगा.


जब अकबर को आई बीरबल की याद


अकबर ने भले ही बीरबल को दूर जाने की सजा सुना दी हो, लेकिन अकबर को भी बीरबल की याद सताने लगी और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ. इस तरह से अकबर अपने दिनचर्या और दैनिक कार्यों में बीरबल को याद करने लगे. जबकि अकबर के सामने कोई परेशानी आती, उन्हें बीरबल की कमी खलने लगती थी.


अकबर ने दिया अजीबो-गरीब आदेश


इस तरह से कुछ दिन बीत गए लेकिन एक दिन अकबर से रहा नहीं गया और उन्होंने अपने सेनापति को बुलाकर बीरबल को ढूंढकर लाने का आदेश दिया. अकबर के आदेश के बाद सैनिक और सिपाहियों की टोली हर गांव, कस्बे, मोहल्ले और गलियों में बीरबल को ढूंढने लगी लेकिन बीरबल का कुछ पता न चला.


उन्होंने जब इस बात की जानकारी अकबर को दी तो वो निराश हो गए. अब तो बीरबल से मिलने के लिए अकबर की बेचैनी और बढ़ने लगी. तब एक दिन अचानक अकबर को एक तरकीब सूझी. उन्होंने अपने सेनापति को आदेश दिया कि, सभी गांव के मुखिया को संदेश भेजा दिया जाए कि उन सभी को एक बर्तन के अंदर बुद्धि डालकर राजमहल भेजना होगा और जो इस आदेश को पूरा नहीं करेगा उसे इसके बदले बर्तन में हीरे जेवर भरकर भेजना पड़ेगा.


इधर अकबर के अजीबो-गरीब आदेश से सभी गांव वाले परेशान थे. उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि, भला बुद्धि को बर्तन में कैसे भरा जाए. क्योंकि बुद्धि तो सभी के पास थी, लेकिन उसे बर्तन में भरने की तरकीब किसी को पता नहीं थी. वहीं दूसरी ओर लोग यह सोचकर भी परेशान थे कि, यदि ऐसा न कर पाए तो उसी बर्तन को कीमती हीरे-जेवरों से भरना पड़ेगा, जोकि इससे भी बड़ी समस्या थी.


लेकिन यह सब बीरबल के लिए सामान्य काम था. अकबर के इस अजीबो-गरीब आदेश की चर्चा दूर-दूर तक के गांव में थी और बीरबल को भी इस बारे में पता चला. गांव के सभी लोग निराश होकर बैठे हुए थे कि तभी वहां किसान के रूप में वेश बदले हुए बीरबल पहुंचे. उन्होंने कहा कि, वह इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं. बीरबल की बात पर किसी को यकीन नहीं हुआ. लेकिन उनके पास बीरबल पर विश्वास करने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं था. इसलिए सभी बीरबल को इस काम की बागडोर सौंप दी.


बीरबल ने चतुराई दिखाकर बर्तन में भर दी बुद्धि


उस समय गांव में तरबूज की फसल उगाने का समय था. बीरबल ने तरबूज के पौधे की एक बेल को एक बर्तन में डाल दिया और धीरे-धीरे उस बेल में तरबूज का फल लगने लगा. कुछ समय बाद तरबूज ने बर्तन का आकार ले लिया. इस तरह से जब बर्तन तरबूज से पूरा भर गया तो बीरबल ने बेल को फल से अलग किया और उस बर्तन को तरबूज समेत अकबर के दरबार में भिजवा दिया. इसके साथ ही यह संदेश भी भेजा कि उस बर्तन के अंदर बुद्धि भरी है और बिना बर्तन तोड़े ही बुद्धि को निकालना होगा.


जैसे ही अकबर ने तरबूज से भरे बर्तन को देखा और संदेश को पढ़ा तो वो कि ऐसा विचार केवल बीरबल को आ सकता है. अकबर ने तुरंत सैनिकों से अपना घोड़ा मंगवाया और बीरबल को वापस लाने के लिए गांव की ओर निकल पड़े.


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