Akbar Birbal Ke Kisse: हर व्यक्ति है झूठा, बीरबल ने चतुराई से साबित की ये बात और बचा ली नौकर की जान
Akbar Birbal Ke Kisse: बादशाह अकबर ने एक नौकर को इसलिए फांसी की सजा सुनाई, क्योंकि उसने झूठ बोला. लेकिन बीरबल ने यह साबित कर दिया कि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसने कभी झूठ न बोला हो.
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Akbar Birbal Ke Kisse in Hidni: बीरबल को उसकी चतुराई, बुद्धिमानी और समझदारी के लिए जाना जाता था. इन्हीं गुणों के कारण वे बादशाह अकबर के खास थे और उनके नवरत्नों में एक थे.
आज अकबर-बीरबल के किस्से में आपको बताएंगे ‘सोने की खेत’ की कहानी. इसमें बीरबल ने एक बार फिर से अपनी चतुराई दिखाकर बादशाह अकबर और सभी दरबारियों के सामने यह साबित कर दिया कि, कोई व्यक्ति सच्चा नहीं है. सभी ने जीवन में झूठ जरूर बोला है. इस तरह से बीरबल ने एक गरीब नौकर की जान बचा ली.
अकबर बीरबल के किस्से: सोने की खेत
जब टूट गया अकबर का खास गुलदस्ता
बादशाह अकबर के महल में सजावट की कई कीमती वस्तुएं थीं. इन्हीं में एक था गुलदस्ता. लेकिन यह कोई आम गुलदस्ता नहीं था, बल्कि इस गुलदस्ते से बादशाह अकबर को बहुत ज्यादा लगाव था. इसलिए वो हमेशा इसे अपने पलंग के बगल में रखते थे. एक नौकर एक दिन अकबर के कमरे की सफाई कर रहा था, तभी उसके हाथ से वह गुलदस्ता टूट गया. नौकर बहुत डर गया और इसके बाद उसने किसी तरह से उस गुलदस्ते को जोड़ने की कोशिश की. लेकिन उसकी कोशिश नाकाम रही और गुलदस्ता नहीं जुड़ सका. ऐसे में उसने यह सोचकर टूटा गुलदस्ता कूड़ेदान में फेंक दिया कि अकबर की नजर इसपर नहीं पड़े.
कुछ देर बाद जब अकबर महल लौटे, तो सीधे अपने कमरे में गए. उन्होंने देखा कि उनका प्रिय गुलदस्ता पलंग के पास नहीं था. अकबर ने नौकर से उस गुलदस्ते के बारे में पूछा. नौकर डर के मारे कांपने लगा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि, अकबर को क्या कहे इसलिए उसने कह दिया कि, उस गुलदस्ते को मैं अपने घर ले गया हूं, ताकि अच्छे से साफ कर सकूं. यह सुनते ही अकबर और गुस्सा हो गए और कहने लग कि, मुझे तुरंत वो गुलदस्ता लाकर दो.
अकबर ने नौकर को सुनाई फांसी की सजा
अब नौकर के पास बचने कोई रास्ता नहीं था तो उसने अकबर को सारी सच्चाई बता दी कि, वो गुलदस्ता उससे साफ करते हुए टूट गया. गुलदस्ते के टूटने की बात सुनकर तो जैसे अकबर आग बबूला हो गए और अकबर ने नौकर को फांसी की सजा सुना दी. राजा ने कहा, मैं झूठ बर्दाश्त नहीं करता हूं. जब गुलदस्ता टूट गया था, तो तुमने मुझसे झूठ क्यों कहा.
अकबर ने बीरबल को दरबार से किया बाहर
अगले दिन इस घटना को लेकर दरबार में जिक्र हुआ और बीरबल ने इसका विरोध किया. बीरबल ने कहा कि, झूठ तो हर व्यक्ति कभी-न-कभी बोलता ही है. ऐसे में किसी के झूठ बोलने से अगर कुछ बुरा या गलत नहीं होता, तो झूठ बोलना गलत नहीं है. बीरबल से ऐसी बात सुनकर अकबर उसपर भी भड़क गए. अकबर ने सभा में उपस्थित सभी लोगों से पूछा कि, क्या यहां कोई ऐसा है जिसने कभी झूठ बोला हो. सभी ने एक सुर में कहा कि, नहीं वो झूठ नहीं बोलते. इसके बाद अकबर ने बीरबल को भी दरबार से निकाल दिया.
दरबार से निकाले जाने के बाद बीरबल ने यह ठान ली कि, वो किसी तरह भी इस बात को साबित करके रहेंगे कि, जीवन में हर व्यक्ति कभी-न-कभी झूठ बोलता है. तुंरत बीरबल के दिमाग में एक तरकीब और वह सीधे सुनार के पास गए. बीरबल ने जौहरी से सोने की गेहूं जैसी दिखने वाली बाली बनवाई और उसे लेकर अकबर की सभा में पहुंच गए.
बीरबल ने दिखाई चतुराई
अकबर ने बीरबल को सभा में देखकर पूछा कि, अब तुम यहां क्यों आए हो. बीरबल ने कहा, जहांपनाह आज ऐसा चमत्कार होगा, जिसे यहा उपस्थित किसी ने कभी नहीं देखा होगा. लेकिन इसके लिए आपको पहले मेरी पूरी बात सुननी होगी. बीरबल की बात सुनकर अकबर और सभा में उपस्थित सभी लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई. अकबर ने बीरबल को बात कहने की अनुमति दे दी.
बीरबल बोले, जब में दरबार से निकलकर घर की तरफ जा रहा था तो मुझे रास्ते में एक सिद्ध पुरुष के दर्शन हुए. उन्होंने मुझे यह सोने की गेहूं की बाली दी है और कहा कि इसे जिस खेत में लगाओगे वहां सोने की फसल उगने लगेगी. इसे लगाने के लिए मुझे आपके दरबार के पास थोड़ी सी जमीन चाहिए. अकबर ने कहा, यह तो बहुत अच्छी बात है. चलो हम तुम्हें जमीन दिला देते हैं. बीरबल ने कहा कि, जांहपनाह मैं चाहता हूं कि, पूरा राज दरबार इस चमत्कार को देखे. इसलिए सभी मेरे साथ खेत में इस गेहूं को बोने के लिए चले.
अकबर और सभी सभापति खेत पहुंच गए. खेत पहुंचकर बीरबल ने कहा कि, सिद्ध पुरुष ने कहा है कि, इस सोने की गेहूं की बाली से फसल तभी उगेगी, जब इसे कोई ऐसा व्यक्ति लगाएगा, जिसने जीवन में कभी झूठ न बोला हो. बीरबल की बात सुनते ही सभी खामोश हो गए. कोई भी गेहूं की बाली लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ.
यह देख अकबर ने कहा कि, क्या दरबार में ऐसा कोई नहीं है जिसने अपने जीवन में कभी झूठ न बोला हो? इसके बाद सभी खामोश हो गए. बीरबल ने कहा, जहांपनाह! तो आप ही इस बाली को खेत में रोप दीजिए. बीरबल की बात सुनकर अकबर का सिर झुक गया. उन्होंने कहा, बीरबल मैंने भी बचपन में कई झूठ बोले हैं. इसलिए मैं भी इसे नहीं लगा सकता हूं.
बीरबल ने बचा ली नौकर की जान
इसके बाद अकबर को यह बात समझ आ गई कि, बीरबल सही कह रहे थे कि, इस दुनिया में कभी-न-कभी सभी व्यक्ति झूठ बोलते हैं और कोई सच्चा नहीं है. जैसे कि अकबर को इस बात का अहसास हुआ उसने तुरंत उस नौकर की फांसी की सजा को रोकने का आदेश दे दिया.
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