पूजा-पाठ में आदि में अक्षत का विशेष महत्व है. पूजा में पीले रंग से रंगे हुए चावल पूजन सामग्री का विशेष हिस्सा होते हैं. धार्मिक मान्यता है कि अगर पूजा में अक्षत का इस्तेमाल न किया जाए, तो पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. कहते हैं कि पूजा में कोई भी सामग्री चूक जाने पर अगर अक्षत अर्पित कर दिए जाएं, तो उस भूल को माफ कर दिया जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा-पाठ में अक्षत का सही इस्तेमाल करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखता है. अक्षत के चार दानों को अगर इस तरह से इस्तेमाल कर लिया जाए, तो इससे जीवन भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. आइए जानें. 


पूजा में यूं करें अक्षत का इस्तेमाल


- मान्यता है कि पूजा में टूटे हुए चावलों या फिर अक्षता का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. टूटे हुए चावलों को इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है. पूजा के दौरान नियमित रूप से भगवान को कुछ दाने चढ़ाने से धन-वैभव और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है. 


- इतना ही नहीं, नियमित रूप से शिवलिंग पर अक्षत अर्पित करना शुभ माना गया है. मान्यता है कि शिव पूजा में कोई अन्य पूजन सामग्री न होने पर भी सिर्फ अक्षत अर्पित करने से पूजा का संपूर्ण फल मिलता है. कहते हैं कि शिवलिंग पर अक्षत अर्पित करने से भगवान शिव धन-वैभव प्रदान करते हैं. 


- घर में आर्थिक तंगी बनी रहती है तो इसे दूर करने के लिए घर के पूजा मंदिर में चावल के ढेर पर मां अन्नपूर्णा की स्थापना कर दें. इससे अन्न और धन की कभी कमी नहीं हो पाएगी. पूजन के समय अक्षत 'अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:, मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर' ये मंत्र बोलते हुए देवी-देवताओं को अक्षत अर्पित करें. 


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