अक्षय तृतीया स्वयं में एक स्वयंसिद्ध मुहूर्त है. इस दिन किए जाने वाले कार्य का अक्षय फल प्राप्त होता है. यानि इस दिन कार्य की शुरूआत करने से सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है. इस दिन विशेष पूजा का विधान है. इस दिन स्वर्ण की पूजा भी की जाती है.


अक्षय तृतीया के धार्मिक महत्व के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए है. इस दिन सूर्य की किरणें धरती पर बहुत तेजी से पड़ती हैं. स्वर्ण को सूर्य का प्रतीक के तौर पर भी माना जाता है. इसलिए इस दिन स्वर्ण या इससे बने आभूषणों की पूजा करने की परंपरा है. स्वर्ण का संबंध सुख- समृद्धि और ऊर्जा से भी है.


पितरों का आर्शीवाद प्राप्त करने का दिन
अक्षय तृतीया पर पितरों को भी प्रसन्न किया जाता है. वहीं जिन लोगों की जन्म कुंडली में पितृ दोष की स्थिति बनी हुई है उन्हें इस दिन पूजा करने से लाभ मिलता है. पितरों के लिए इस दिन की जाने वाली पूजा को श्रेष्ठ और फलदायी माना गया है.अक्षय तृतीया के दिन पितृों के किया गया तर्पण, पिण्डदान या किसी और प्रकार का दान बहुत ही शुभ माना गया है.


लॉकडाउन में ऐसे करें इस दिन पूजा
कोरोना वायरस के कारण इस समय देश में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में घर पर ही पूजा करने श्रेष्ठ है. इस दिन सुबह जल्द उठकर पानी में गंगाजल की बूंदें मिलाकर सर्वप्रथम स्नान करें. इसके बाद सूर्य भगवान को जल में लाल चंदन मिलाकर चढ़ाएं. ध्यान रहे सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए जल की धारा के बीच से सूर्य देव को देखना है. इस दौरान सूर्य मंंत्र का जाप करना चाहिए. इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए.


पूजन विधि
इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं. कुमकुम, अबीर, गुलाल, वस्त्र, सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके बाद घी का दीपक जलाएं. मिठाई और फल का भोग लगाएं. इसके उपरांत श्रीहरी की आरती गाएं.


अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
25 अप्रैल 2020: समय- 11 बजकर 50 मिनट से अक्षय तृतीया तिथि का आरंभ
26 अप्रैल 2020: समय- 13 बजकर 26 मिनट पर अक्षय तृतीय तिथि का समापन


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