(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Akshaya Tritiya 2024: विष्णु के छठे अवतार का जन्म, कृष्ण-सुदामा की मुलाकात, जानिए अक्षय तृतीया से जुड़ी 5 पौराणिक कथा
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया हिंदू धर्म की सबसे पवित्र और शुभ तिथि है.अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. इसे मनाए जाने को लेकर कई पौराणिक और धार्मिक कथा जुड़ी है.
Akshaya Tritiya 2024: पंचांग के अनुसार हर वर्ष वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है, जोकि इस साल शुक्रवार 10 मई 2024 को है. अक्षय तृतीया के दिन लोग लक्ष्मी नारायण और भगवान कुबेर की पूजा करते हैं, सोने-चांदी से लेकर नया मकान, वाहन आदि जैसी वस्तुओं की खरीददारी करते हैं. क्योंकि यह दिन नए कार्य करने और खरीददारी करने के लिए काफी शुभ माना गया है.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य किया जाता है, उससे अक्षय फल यानी कभी समाप्त नहीं होने वाला फल मिलता है. साथ ही अक्षय तृतीया जैसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त पर धार्मिक अनुष्ठान, गृह प्रवेश, नए बिजनेस की शुरुआत और शुभ-मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर अक्षय तृतीया की तिथि को हिंदू धर्म में इतना शुभ और पवित्र क्यों माना गया है.
अक्षय तृतीया की तिथि को शुभ और पवित्र मानने के पीछे एक नहीं बल्कि कई मान्यताएं जुड़ी हैं. आइये जानते हैं ऐसी पांच पौराणिक और धार्मिक कथाओं के बारे में जिसे अक्षय तृतीया से जोड़ा जाता है और इन्हीं कारणों से यह तिथि इतनी शुभ मानी जाती है.
अक्षय तृतीया से जुड़ी 5 पौराणिक कहानियां (Five Mythological Story Related to Akshaya Tritiya 2024)
पहली कहानी (भगवान परशुराम का जन्म): भगवान परशुराम को श्रीहरि विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है. जिनका जन्म महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर हुआ. मान्यता है कि वैशाख महीने की तृतीया तिथि को ही परशुराम का जन्म हुआ था. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है.
दूसरी कहानी (कृष्ण-सुदामा की मुलाकात): भगवान कृष्ण और सुदामा के मित्रता की कहानी तो जग प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि या अक्षय तृतीया के दिन ही गरीब सुमादा अपने प्रिय मित्र कृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे थे. सुदामा ने भेंट स्वरूप कृष्ण को सूखे चावल दिए थे और इसके बदले में कृष्ण ने उन्हें दो लोकों का स्वामी बना दिया था. यही कारण है कि, अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु को चावल चढ़ाए जाने का विधान है.
तीसरी कहानी (गंगा का पृथ्वी पर अवतरण): भगीरथ की वर्षों तपस्या से प्रसन्न होने के बाद गंगा का अवतरण स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जिस तिथि पर मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ, वह तिथि अक्षय तृतीया थी.
चौथी कहानी (पृथ्वी के गर्भ से निकला था सोना): पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया की तिथि पर ही पृथ्वी के गर्भ से सोना निकला था. इसलिए सोना को अक्षय माना जाता है. अक्षय यानी जिसका कभी नाश न हो. इसलिए अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का महत्व है. क्योंकि यह ऐसी वस्तु है जो ना ही कभी नष्ट होगी और ना ही इसका महत्व कभी कम होगा.
पांचवी कहानी (युधिष्ठिर को मिला था अक्षय पात्र): महाभारत के आरण्यपर्व के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर ही सूर्य देव से युधिष्ठिर को अक्षय पात्र मिला था. अक्षय का अर्थ होता है अविनाशी यानी कभी समाप्त नहीं होने वाला. वहीं पात्र का अर्थ बर्तन होता है, यानी ऐसा बर्तन जिसमें रखा अन्न कभी नहीं घटता था.
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