Akshaya Tritiya 2024 Vivah Muhurat: 24 साल बाद अक्षय तृतीया पर नहीं गूंजेंगी शादी की शहनाई, जानिए क्या है वजह
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के विवाह होते हैं लेकिन इस बार अक्षय तृतीया पर 10 मई को शादी की शहनाइयां नहीं गूंजेंगी जानें क्या है वो खास वजह
Akshaya Tritiya 2024 Vivah muhurat: बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूर्त (Abujh muhurat) अक्षय तृतीया को माना जाता है. लगभग 24 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का विवाह मुहूर्त नहीं है. हालांकि अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने से शुभ संस्कार संपन्न होंगे.आइए जानते हैं साल 2024 में अक्षय तृतीया पर शादी की शहनाइयां क्यों नहीं बजेंगी.
अक्षय तृतीया पर शुक्र-गुरु अस्त (Guru and Shukra asta on Akshaya Tritiya)
अक्षय तृतीया पर गुरु तारा (Guru Asta 2024) अस्त रहेगा. 29 अप्रैल से 28 जून तक शुक्र तारा (Shukra asta 2024)अस्त रहेगा. इसी बीच गुरु तारा 6 मई से 3 जून तक अस्त रहेगा. गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे.
24 साल बाद मई-जून में विवाह नहीं
खास बात यह है कि जो लोग गर्मी के मौसम में विवाह करने की सोच रहे हैं, उन्हें यह मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे. इसकी वजह इन दोनों माह में शुक्र ग्रह का अस्त होना है, इसके उदित होने के बाद जुलाई में ही मुहूर्त शुरू होंगे. 24 वर्ष बाद मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेगा. ऐसी स्थिति वर्ष 2000 में भी बनी थी, तब भी मई और जून में कोई विवाह मुहूर्त नहीं था.
स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है अक्षय तृतीया
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया 10 मई को आ रही है. शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त माना गया है. यानी इस तिथि पर बिना मुहूर्त का विचार किए सभी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है.
इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह (Vivah), गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण. घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस अबूझ मुहूर्त की तिथि पर व्यापार आरम्भ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य,पूजा-पाठ अक्षय रहता है अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता.
विवाह से क्या है शुक्र-गुरु का संबंध
विवाह मुहूर्त में गुरु और शुक्र अस्त का भी विचार किया जाता है. अच्छा शुक्र भोग विलास का नैसर्गिक कारक है और दांपत्य सुख को दर्शाता है. वहीं गुरु, कन्या के लिए पति सुख का कारक है. दोनों ग्रहों का शुभ विवाह हेतु उदय होना शास्त्र सम्मत है, विवाह के लिए शुक्र व गुरु ग्रह का उदित रहना जरूरी है. इनके अस्त रहने पर विवाह नहीं होते हैं.
9 जुलाई से शुरू होंगे विवाह
गुरु व शुक्र का तारा उदित होने के बाद 9 जुलाई से एक बार फिर विवाह समारोह की धूम शुरू होगी. जुलाई में क्रमशः 9 ,11, 12, 13 व 15 जुलाई विवाह की तारीख हैं. इनमें अपने चंद्र बल व गुरु बल की गणना से विवाह के लिए तारीख का चयन किया जा सकता है.
गुरु और शुक्र विवाह का कारक ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए कुंडली मिलान, गुण दोष मिलान किया जाता है. इसके अलावा गुरु और शुक्र को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है. यदि आकाश मंडल में गुरु और शुक्र ग्रह उदितमान हो तो ही विवाह के शुभ मुहूर्त होते हैं. यदि ये ग्रह अस्त हो तो विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होता. दोनों ग्रह के अस्त होने से मई-जून में विवाह के फेरे नहीं लिए जा सकेंगे.
अक्ती के नाम से प्रसिद्ध
अक्षय तृतीया, जो छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से प्रसिद्ध है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा चन्द्रमा उच्च के होते हैं. सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं, इसीलिए अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है. अक्षय तिथि अर्थात जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होता.
17 जुलाई से 12 नवंबर तक चातुर्मास
17 जुलाई 2024 को आषाढ़ शुक्ल एकादशी है, जिसे देवशयनी एकादशी (Devshayani ekadashi) कहते हैं. इस दिन से चातुर्मास प्रांरभ हो जाएगा. चातुर्मास (Chaturmas 2024) का समापन 12 नवंबर 2024 को होगा. इसे कार्तिक शुक्ल एकादशी अर्थात देवउठनी एकादशी (Dev Uthani ekadashi 2024) कहा जाता है. चातुर्मास में विष्णु जी पाताल लोक में योग निद्रा में रहते हैं.
चातुर्मास के चार माह विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे. श्रद्धालु जप,तप, नियम का पालन करते हुए धर्म अध्यात्म में रमेंगे. दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देव उत्थापनी एकादशी से विवाह आदि शुरू होंगे.
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