Al Aqsa Mosque: अल अक्सा मस्जिद इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? जानिए ईरान के प्रमुख धार्मिक स्थल
Al Aqsa Mosque: मक्का और मदीना के बाद इस्लाम (Islam) में अल- अक्सा मस्जिद को तीसरा पवित्र स्थान माना गया है. यह इसराइल के यरुशलम में है. इस मस्जिद से मुसलमान, यहूदी और ईसाइयों की आस्था भी जुड़ी है.
Al Aqsa Mosque: मुस्लिम समुदाय के बीच मक्का और मदीना (Makka Madina) को सबसे पवित्र धार्मिक स्थल माना गया है, जोकि सऊदी अरब (Saudi Arabia) में है. वहीं मक्का और मदीना के बाद अल-अक्सा मस्जिद (Al Aqsa Masjid) तीसरा पवित्र धार्मिक स्थल है. यह इसराइल (Israel) के यरुशलम (Jerusalem) में स्थित है.
इस्लाम धर्म (Islam) का तीसरा सबसे पवित्र स्थान माने जाने वाले अल-अक्सा मस्जिद परिसर पर आए दिन विवाद जैसी स्थितियां देखने को मिलती है. अब एक बार फिर से अल-अक्सा मस्जिद चर्चा में आ गया, जब बीते मंगलवार को इजराइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री बेन ग्वीर (Itamar Ben-Gvir) ने हजारों यहूदियों के साथ पूर्वी यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद परिसर में प्रार्थना की.
इसका कारण यह है कि इजराइल सरकार द्वारा अल-अक्सा मस्जिद परिसर में यहूदियों के प्रार्थना पर प्रतिबंध है. इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है इसके बाद तनाव की स्थिति बढ़ सकती है. इस बीच आइये जानते हैं इस्लाम में क्या है अल-अक्सा मस्जिद का महत्व और ईरान के अन्य शीर्ष इस्लामिक धार्मिक स्थलों के बारे में-
अल-अस्का मस्जिद पर तीन धर्मों की आस्था
अल-अक्सा मस्जिद लगभग 35 एकड़ में फैसा हुआ है. खास बात यह है कि, अल-अक्सा मस्जिद से केवल मुसलमानों की नहीं बल्कि यहूदियों और ईसाइयों की भी आस्था जुड़ी है. इसलिए यह मस्जिद मुस्लिम, ईसाई और यहूदियों के लिए एक समान धार्मिक महत्व रखता है.
कहा जाता है कि पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के दोस्त खलीफा इल-अब्र-खट्टाब ने इसका निर्माण कराय था. मुसलमान इस मस्जिद को बहुत पवित्र स्थान मानते हैं. उनके अनुसार, पैगंबर मुहम्मद इसी मस्जिद के रास्ते से होकर जन्नत गए थे.
वहीं ईसाइयों और यहूदियों के बीच इसे लेकर अलग-अलग मत हैं. यहूदियों के अनुसार यह सबसे पहले यहूदी धर्म (Judaism) का धार्मिक स्थान हुआ करता था. यहूदी इसे टेंपल माउंट (Temple Mount) कहते हैं. यहूदी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 1000 ईसा पूर्व किंग सोलोमन ने यहां यहूदियों के लिए मंदिर मनवाया था, जिसे बाद में तोड़ दिया गया. लेकिन एक दीवार बची है, जिसे यहूदी वेस्ट वॉल कहते हैं.
वहीं ईसाइयों के अनुसार, यहां सेंट मेरी चर्च था. ईसाई धर्म के अनुसार, इसी स्थान पर ईसा मसीह (Jesus Christ) ने पवित्र उपदेश दिए थे और इसी जगह उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था और इसी जगह वे पुनर्जीवित भी हुए थे. यही कारण है कि आज भी यह स्थान तीनों धर्मों के लिए विशेष महत्व रखती है.
ईरान के प्रमुख धार्मिक स्थल
इस्लामी दुनिया में ईरान सबसे महत्वपूर्ण है. बेहतरीन धार्मिक स्थल होने के कारण यहां पूरे साल पर्यटकों की भीड़ रहती है. आइए आपको बताते हैं ईरान के प्रमुख धार्मिक स्थलों के बारे में ( Top Religious Destinations in Iran)-
इमाम रज़ा (Imam Reza Shrine): ईरान में इमाम रज़ा का पवित्र स्थल है. यह ईरान के साथ ही दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करता है. ईरान में यह धार्मिक स्थल खासकर मुसलमानों के लिए बहुत महत्व रखता है. इमाम रजा अपनी वास्तुकला, टाइलवर्क, मिररवर्क, लकड़ी की नक्काशी, संग्रहालय और समृद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत को लेकर प्रसिद्ध है.
नासिर अल-मुल्क मस्जिद (Nasir al-Mulk Mosque): नासिर अल-मुल्क मस्जिद बहुत ही हरा-भरा और सुंदर है. यह मस्जिद ईरान में घूमने और देखने के लिए सबसे खूबसूरत धार्मिक स्थलों में एक है.
वांक कैथेड्रल (Vank Cathedral): यह ईरान का प्रसिद्ध चर्च है. यह इस्फहान (Isfahan) के जोल्फा पड़ोस में है. इस चर्च की दीवारें और छत अद्वितीय और उत्तम है.
शाह चिराग़ (Shah cheragh Holy Shrine): शाह चिराग़ ईरान से खूबसूरत धार्मिक स्थलों में एक है. यह शिया मुसलमानों (Shia Muslims) के सातवें इमाम बेटे हैं. इस इमारत का निर्माण फारस के अताबाकन काल के दौरान छठी शताब्दी में हुआ था.
जामकरन मस्जिद (Jamkaran Mosque): ईरान के पवित्र और ऐतिहासिक तीर्थस्थल जामकरन मस्जिद को शिया मुसलमानों के बारहवें इमाम मादी (AS) के आदेश पर बनवाया गया था. यह ईरान के सातवें सबसे बड़े शहर कोम में स्थित है. शिया मुसलामनों में ऐसी मान्यता है कि यहां इस मस्जिद में नमाज अदा करना मक्का में खान-ए-काबा में नमाज पढ़ने के बराबर है.
ये भी पढ़ें: Shani Vakri 2024: शनि की उल्टी चाल इन 5 राशियों के लिए भारी, 90 दिन और फिर होगा बेड़ा पार
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.