Paush Month: हिंदू धर्म में पौष का महीना धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. पूजा पाठ और दान आदि के कार्यों के लिए यह महीना बहुत शुभ विशेष पुण्य प्रदान करने वाला बताया गया है. पौष में भयंकर सर्दी पड़ती है. मन और मस्तिष्क का बेहतर बनाये रखने और दैनिक दिनचर्या को कैसे ठीक रखा जाए इसके लिए पूस के महीने में कुछ नियम भी बताए गए हैं. इस महीने क्या करना चाहिए, विशेषज्ञ डॉक्टर अनीष व्यास से जानते हैं-

ग्रहों के राजा हैं सूर्य 
किसी भी काम की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ ही होती है. सूर्य पूजा से कुंडली के नौ ग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं. कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो घर-परिवार और समाज में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहे, मान-सम्मान मिले, सफलता मिले, इसके लिए सूर्य की पूजा करनी चाहिए.

पौष माह 2024 व्रत-त्योहार (Paush Month 2024 in Hindu Calendar)
18 दिसंबर 2024, बुधवार संकष्टी गणेश चतुर्थी
22 दिसंबर 2024, रविवार कालाष्टमी
25 दिसंबर 2024, बुधवार  मदन मोहन मालवीय जयंती, क्रिसमस
26 दिसंबर 2024, गुरुवार  सफला एकादशी
28 दिसंबर 2024, शनिवार प्रदोष व्रत
29 दिसंबर 2024,रविवार मासिक शिवरात्रि
30 दिसंबर 2024,सोमवार  अमावस्या, सोमवार व्रत
01 जनवरी 2025, बुधवार  नव वर्ष , चंद्र दर्शन
03 जनवरी 2025, शुक्रवार  वरद चतुर्थी
05 जनवरी 2025, रविवार  षष्ठी
06 जनवरी 2025, सोमवार  गुरु गोबिंदसिंह जयंती
07 जनवरी 2025, मंगलवार दुर्गाष्टमी व्रत
10 जनवरी 2025, शुक्रवार वैकुंठ एकादशी, पौष पुत्रदा एकादशी
11 जनवरी 2025, शनिवार  कूर्म द्वादशी व्रत, प्रदोष व्रत , रोहिणी व्रत
12 जनवरी 2025, रविवार  स्वामी विवेकानंद जयंती , राष्ट्रीय युवा दिवस
13 जनवरी 2025, सोमवार पूर्णिमा , सत्य व्रत , पौष पूर्णिमा , माघ स्नान प्रारंभ, लोहड़ी (लोहरी), सत्य व्रत , पूर्णिमा व्रत

भविष्य पुराण में जिक्र
भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्यदेव पूजा का महत्व बताया है. भगवान श्रीकृष्ण ने सांब को बताया था कि सूर्यदेव एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं यानी सूर्य हमें साक्षात दिखाई देते हैं. जो लोग श्रद्धा के साथ सूर्य पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं सूर्य देव पूरी करते हैं.

वेद और उपनिषद में सूर्य
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास बताते हैं कि अथर्ववेद और सूर्योपनिषद के अनुसार सूर्य परब्रह्म है. ग्रंथों में बताया गया है कि पौष मास में भगवान भास्कर ग्यारह हजार किरणों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं. इनका रंग खून के जैसा लाल है. शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है और इन सबके कारण इन्हें भगवान माना जाता है. ये ही वजह है कि पौष मास का भग नाम के सूर्य को साक्षात परब्रह्म का ही रूप माना गया है. पौष महीने में सूर्य को अर्घ्य देने और उनके लिए व्रत करने का भी महत्व धर्म शास्त्रों में बताया है.

क्या करें
आदित्य पुराण के अनुसार, पौष माह के हर रविवार को तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए तथा विष्णवे नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही दिनभर व्रत रखना चाहिए और खाने में नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए. संभव हो तो सिर्फ फलाहार ही करें. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि रविवार को व्रत रखकर सूर्य को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से मनुष्य तेजस्वी बनता है. पुराणों के अनुसार पौष माह में किए गए तीर्थ स्नान पुण्य प्राप्त होता है. जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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