हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. दशमी से शुरू होने वाले इस व्रत का पारण द्वादशी के दिन किया जाता है. एकादशी के व्रत में पारण का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के व्रत का पारण करते समय चावल जरूर खाने चाहिए. पारण के समय तामसिक चीजों का भूलकर भी इस्तेमाल न करें.


अगर एकादशी व्रत के नियमों का पालन पूरी तरह से नहीं किया जाए, तो व्रत का पूरा लाभ नहीं मिलता. इस बात की सही जानकारी होनी चाहिए कि व्रत पारण करते समय किन गलतियों को न किया जाए. मान्यता है कि व्रत के पारण में कुछ विशेष चीजों का प्रयोग करने से ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है . आइए जानें. 


पारण का सही समय- 


15 मार्च 2022 को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 50 मिनट तक व्रत का पारण करना चाहिए। इस दिन 11 बजकर 50 मिनट पर द्वादशी तिथि समाप्त हो जाएगी।


क्या खाएं. 


1. एकादशी के व्रत में तुलसी पत्र का होना बेहद जरूरी है. मान्यता है कि भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है. अगर उनकी पूजा में तुलसी न शामिल की जाए, तो भोग ग्रहण नहीं करते. एकादशी व्रत का पारण आप मुख में तुलसी का पत्ता डालकर कर सकते हैं. 



2- एकादशी के व्रत में आवंले का भी विशेष महत्व है. कहते हैं कि आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है. मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण अगर आंवला खाकर  किया जाए तो अखंड सौभाग्य, आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है. 


3- मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण चावल खाकर करना चाहिए. एकदाशी पर चावल खाने की मनाही होती है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल जरूर खाने चाहिए. द्वादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को रेंगने वाले जीव की योनि से मुक्ति मिल जाती है.  


4- व्रत पारण के भोजन में घी का प्रयोग करें. गाय के शुद्ध घी से ही व्रत का पारण करें. 


क्या न खाएं- 


एकादशी व्रत का पारण करते समय भूलकर भी ये चीजें नहीं खानी चाहिए. मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल, लहसुन-प्याज आदि का पारण में प्रयोग वर्जित है. बैंगन पित्त दोष बढ़ाता है. मसूर की दाल को अशुद्ध माना गया है. मूली की तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह व्रत के ठीक बाद सेहत के लिए सही नहीं होती. लहसुन-प्याज तामसिक भोजन होता है. 


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