साल भर में आने वाली 24 एकदाशियों में सभी का अपना अलग महत्व होता है. लेकिन इन सब में कुछ एकादशी विशेष रूप से अहम होती है. इन्हीं में से एक है अमालकी एकादशी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 


इस व्रत विधिपूर्वक व्रत रखने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अमालकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार ये एकादशी 14 मार्च 2022 के दिन पड़ रही है. इस दिन आंवले का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन आंवले का प्रयोग करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इस दिन पूजा के बाद भगवान विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए. 


श्री विष्णु चालीसा


दोहा


विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।


कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।


चौपाई


नमो विष्णु भगवान खरारी।


कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥


प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।


त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥


सुन्दर रूप मनोहर सूरत।


सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥


तन पर पीतांबर अति सोहत।


बैजन्ती माला मन मोहत


शंख चक्र कर गदा बिराजे।


देखत दैत्य असुर दल भाजे॥


सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।


काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥


संतभक्त सज्जन मनरंजन।


दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥


सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।


दोष मिटाय करत जन सज्जन॥


पाप काट भव सिंधु उतारण।


कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥


करत अनेक रूप प्रभु धारण।


केवल आप भक्ति के कारण॥


धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।


तब तुम रूप राम का धारा॥


भार उतार असुर दल मारा।


रावण आदिक को संहारा॥


आप वराह रूप बनाया।


हरण्याक्ष को मार गिराया॥


धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।


चौदह रतनन को निकलाया॥


अमिलख असुरन द्वंद मचाया।


रूप मोहनी आप दिखाया॥


देवन को अमृत पान कराया।


असुरन को छवि से बहलाया॥


कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।


मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥


शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।


भस्मासुर को रूप दिखाया॥


वेदन को जब असुर डुबाया।


कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया॥


मोहित बनकर खलहि नचाया।


उसही कर से भस्म कराया॥


असुर जलंधर अति बलदाई।


शंकर से उन कीन्ह लडाई॥


हार पार शिव सकल बनाई।


कीन सती से छल खल जाई॥


सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।


बतलाई सब विपत कहानी॥


तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।


वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥


देखत तीन दनुज शैतानी।


वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥


हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।


हना असुर उर शिव शैतानी॥


तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।


हिरणाकुश आदिक खल मारे॥


गणिका और अजामिल तारे।


बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥


हरहु सकल संताप हमारे।


कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥


देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।


दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥


चहत आपका सेवक दर्शन।


करहु दया अपनी मधुसूदन॥


जानूं नहीं योग्य जप पूजन।


होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥


शीलदया सन्तोष सुलक्षण।


विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥


करहुं आपका किस विधि पूजन।


कुमति विलोक होत दुख भीषण॥


करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।


कौन भांति मैं करहु समर्पण॥


सुर मुनि करत सदा सेवकाई।


हर्षित रहत परम गति पाई॥


दीन दुखिन पर सदा सहाई।


निज जन जान लेव अपनाई॥


पाप दोष संताप नशाओ।


भव-बंधन से मुक्त कराओ॥


सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।


निज चरनन का दास बनाओ॥


निगम सदा ये विनय सुनावै।


पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥


 


भगवान विष्णु की आरती 


ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।


भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥


जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।


सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।


तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।


पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।


मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।


किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।


अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।


श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।


तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।


कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥


ओम जय जगदीश हरे...॥



Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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