Amalaki Ekadashi 2023 Highlights: एकादशी पर नहीं लेकिन द्वादशी की तिथि में खा सकते हैं चावल
Amalaki Ekadashi 2023 Highlights: फाल्गुन एकादशी की तिथि समाप्त हो चुकी है, आमलकी एकादशी व्रत का पारण कब है? इसका शुभ मुहूर्त और इस दिन से जुड़ी सभी खास बातें यहां देखें
एकादशी का व्रत कठिन व्रतों में से एक है. मान्यता है कि यदि इस व्रत का पारण विधि पूर्वक नहीं किया जाए तो इसका पूरा लाभ नहीं मिलता है. जिस प्रकार से व्रत महत्वपूर्ण है, उसी तरह से पारण भी महत्वपूर्ण है. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है. व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है
आमलकी एकादशी के दिन जरुरतमंद लोगो को जरुरत की चीजें दान दें, जैसे कपड़े, खाना, अनाज और अन्य जरुरत का सामान. इस दिन ऐसी चीजों का दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
आमलकी एकादशी व्रत के पारण पर चावल का सेवन जरूर करना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन चावल खाने से परहेज करनी चाहिए. वहीं द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है. चावल जरुर खाएं
आमलकी एकादशी के दिन सुबह 06:44 बजे से लेकर सुबह 09:03 बजे के बीच पारण का शुभ समय है. सुबह सवेरे स्नान कर सूर्य देव को जल देने के बाद सूर्य देव की पूजा करें. आमलकी एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प करें. उसके बाद दैनिक पूजा कर लें
आमलकी एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद इस व्रत का पारण किया जाएगा. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना बहुत जरूरी है. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है. द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना भी पाप करने के समान होता है.
आमलकी एकादशी या कहें आंवले की एकादशी , इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा होती है. इस दिन घर में आंवले का वृक्ष लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है. माना जाता है कि आज के दिन आंवले का पेड़ लगाने से कारोबार फलता-फूलता है और करियर में तरक्की मिलती है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. महाभारत के समय स्वंय भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को इस व्रत के महामात्य के बारे में बताया था. एकादशी का व्रत सूर्य उदय के बाद प्रारंभ किया जाता है और द्वादशी की तिथि पर इसका पारण किया जाता है आज आमलकी एकादशी है, पंचांग के अनुसार आज प्रात: 9 बजकर 14 मिनट पर एकादशी की तिथि समाप्त हो रही है.
फाल्गुन मास में पड़ने वाली दूसरी एकादशी को आमलकी एकादशी भी कहा जाता है. उदयातिथि के अनुसार इस बार आमलकी एकादशी व्रत 3 मार्च यानि आज रखा जाएगा. एकादशी की तिथि विष्णु भगवान की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है.
आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन भोलनाथ और पार्वती माता को गुलाल रंग अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां दूर होती हैं, और घर परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
आमलकी एकादशी के दिन पीली चीजों का दान करना चाहिए , इस दिन केला, केसर या हल्दी का दान करना उत्तम माना जाता है. साथ ही आंवले का भी दान करना चाहिए. इन चीजों के दान से पुण्य फल मिलता है.
एकादशी तिथि के लगते ही एकादशी का व्रत शुरु हो जाता है इस दिन विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. जो लोग इस दिन व्रत करते है या पीली चीजों का दान करते हैं उनको धन-धान्य की प्राप्ति के साथ-साथ श्री हरि विष्णु भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है.
आमलकी एकादशी तिथि आज 2 मार्च, 2023 सुबह 6.28 मिनट से शुरु हो चुकी है, जो 4 मार्च सुबह 9.09 तक चलेगी. आमलकी एकादशी का व्रत 3 मार्च यानि कल के दिन रखा जाएगा. उदयातिथि के अनुसार इस बार व्रत 3 मार्च को रखा जाएगा. इस दिन व्रत रखने से और विष्षु भगवान की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
बैकग्राउंड
Amalaki Ekadashi 2023 Highlights: आमलकी एकादशी फाल्गुन मास में पड़ने वाली दूसरी एकादशी है. इस एकादशी की शुरुआत 2 मार्च 2023 की सुबह 6.39 मिनट से हो चुकी है, इसकी तिथि का समापन 3 मार्च 2023 को सुबह 9.12 मिनट (Amalaki ekadashi 2023) पर हो चुका है, हालांकि इस एकादशी व्रत का पारण आज यानि 4 मार्च को होगा.
उदयातिथि के अनुसार इस बार व्रत 3 मार्च को रखा गया था. होली से पहले आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ शंकर-पार्वती के साथ होली खेलने की परंपरा है. इसलिए इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
आमलकी एकादशी व्रत पारण समय - सुबह 06.48 - सुबह 09.09 (4 मार्च 2023)
आपको बता दें कि आमलकी एकादशी का व्रत 3 मार्च को रखा जाएगा. इस दिन पूरे भक्ति-भाव के साथ विष्णु जी की आराधना करें और व्रत रखें. आमलकी एकादशी व्रत के प्रभाव से साधक जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति पाकर विष्णु लोक को प्राप्त होता है. इस व्रत को रखने के बेहद लाभ है.
आंवले का आयुर्वेद में महत्व (Ayurvedic importance of amla)
धार्मिक दृष्टि से उपयोगी एवं पूज्यनीय है उतना ही इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. आयुर्वेद में आंवला सर्वाधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया है. इसे अमृत के समान माना गया है. आयुर्वेद के अनुसार आंवला आयु बढ़ाने वाला फल है. रोजाना उचित मात्रा में इसका सेवन करने वालों से रोग कोसों दूर रहते हैं. आंवला त्वचा, आंखों के संबंधी परेशानी का रामबाण इलाज है. शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं.
आमलकी एकादशी में करें ये उपाय मिलेगी सफलता (Amalaki Ekadashi Upay)
- इस दिन आपको आंवले के पेड़ को या उसके फल को स्पर्श करके प्रणाम करना चाहिए.
- जीवनसाथी के मन की इच्छा पूर्ति के लिए आपको आंवले के पेड़ के तने पर सात बार सूत का धागा लपेटना चाहिए साथ ही पेड़ के पास घी का दीपक जलाना चाहिए.
- अच्छी सेहत के लिए तो आपको आंवले की पूजा करके आंवले के फल का दान करना चाहिए.
- ऑफिस में आपके विपरीत ना बनें उसके लिए आपको आंवले के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए और आंवले की जड़ की थोड़ी-सी मिट्टी लेकर माथे पर तिलक लगाना चाहिए.
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