Amalaki Ekadashi 2024: 20 मार्च 2024 को आमलकी एकादशी है. आमलकी एकादशी का व्रत करने से भगवान श्रीहरि की शक्ति हमारे सभी कष्टों को हरती है. इसी शक्ति के बल से भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ नाम के राक्षसों का संहार किया था.


इसे आंवला एकादशी भी कहते हैं क्योंकि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं आखिर आंवला पेड़ पूजनीय है, क्यों आमलकी एकादशी पर आंवला पेड़ की पूजा की जाती है इसका क्या महत्व है. जानें.


ब्रह्मा जी से आंवले का संबंध (Amalaki ekadashi connection with Brahma ji))


धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी को इस बात को जानने की जिज्ञासा हुई कि आखिर उनकी उत्पत्ति कैसे हुई. इसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या प्रारंभ की. श्रीहरि ब्रह्मा जी के कठिन तप से प्रसन्न हो गए और उन्हें दर्शन दिए तो ब्रह्मदेव उन्हें देखते ही भावुक हो गए. उनकी आंखों से आंसू आ गए. ब्रह्मा जी के आंसू भगवान श्री विष्णु के चरण में गिरे तो उससे आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई.


भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा कि आज के बाद इस पेड़ पर वो स्वयं निवास करेंगे और इसकी पूजा करने वाले भक्त को मेरी पूजा का पुण्यफल प्राप्त होगा और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. मान्यता है कि उसी दिन से फाल्गुन एकादशी थी.तभी से आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है. 


आमलकी एकादशी पर आंवले की पूजा का महत्व (Amalaki ekadashi amla significance)


फाल्गुने मासि शुक्लायां,एकादश्यां जनार्दन:। वसत्यामलकीवृक्षे,लक्ष्म्या सह जगत्पति:। तत्र संपूज्य देवेशं शक्त्या कुर्यात् प्रदक्षिणां। उपोष्य विधिवत् कल्पं, विष्णुलोके महीयते।।


अर्थात - फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर यानी आमलकी एकादशी वाले दिन स्वयं भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं, इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन और परिक्रमा करने से व्यक्ति समस्त पापों से मुक्ति हो जाता है. मृत्यु के बाद उसे बैकुंठ लोक मिलता है.


लक्ष्मी जी का अंश माना गया आंवला


गरुण पुराण में लिखा है कि इस दिन भगवती और लक्ष्मीजी के आंसू से आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी. मान्यता है कि आमलकी एकादशी पर जो व्यक्ति आंवले के पेड़ की पूजा करता है उसे सभी एकादशियों का फल मिलता है, धन दौलत में किसी तरह की कमी नहीं होती, व्यक्ति राजसुख पाता है.


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